कांग्रेस ने ओबीसी के बाद अब आदिवासी समुदाय के वोटों पर डाली नजर,प्रियंका-राहुल ने संभाली चुनाव प्रचार की कमान

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं. राहुल ने शहडोल जिले के ब्यौहारी में जनसभा कर विंध्य इलाके को साधने के कवायद की तो प्रियंका गांधी आज यानि गुरुवार को मंडला से महाकौशल इलाके से समीकरण को एक बार फिर से सेट करने के लिए उतर रही हैं. प्रियंका के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी मंडल में जनसभा करके चुनावी अभियान को धार देंगे।प्रियंका गांधी ने चार महीने पहले महाकौशल से ही मध्य प्रदेश के चुनावी अभियान का आगाज किया था और अब दोबारे से चुनावी ऐलान के बाद पहुंच रही हैं. 4 अक्टूबर को प्रियंका ने जबलपुर से चुनावी शंखनाद किया था और अब मंडला में रैली को संबोधित करेंगी. 2018 में कांग्रेस महाकौशल के इलाके में काफी बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही थी. यही वजह है कि कांग्रेस का पूरा फोकस महाकौशल के इलाके में अपने दबदबे को बनाए रखने और पिछले चुनाव के नतीजे को दोहराने की रणनीति है।कांग्रेस का पूरा फोकस मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय के वोटों पर है. राज्य में 21 फीसदी से ज्यादा आदिवासी मतदाता है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. महाकौशल के इलाके में आदिवासी मददाता निर्णायक भूमिका में है।

38 सीटों में से आदिवासियों के लिए 13 सीटें आरक्षित, जिनमें से 11 पर कांग्रेस और सिर्फ 2 सीटों पर बीजेपी विधायक हैं. इससे एक बात साफ है कि आदिवासियों की बीजेपी से नाराजगी अहम वज रही है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी भी आदिवासी वोटरों को लुभाने की पूरी ताकत लगा रखी है तो कांग्रेस ने किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।प्रियंका गांधी की जबलपुर से चुनावी संखनाद करना रहा है तो फिर राहुल गांधी का मालवा के कालापीपल या विंध्य क्षेत्र से शहडोल जिले के ब्यौहारी की रैली. इसके अलावा प्रियंका गांधी की मंडला, जिसके जरिए कांग्रेस की नजर आदिवासी वोटों पर है. राहुल ने ब्योहारी में जातिगत जनगणना की मांग उठा चुके हैं और इस आधार पर आदिवासी, अन्य कमजोर वर्ग के हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने आदिवासी समुदाय के मुद्दे उठाए थे।