सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार बनाकर तमिलनाडु में लागू किया गया 10 कानून,राज्यपाल से नहीं ली गई मंजूरी

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर राज्य में 10 कानून लागू कर दिए हैं। राज्य विधानमंडल से पारित इन विधेयकों को राज्य सरकार ने शनिवार को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया, जिसमें कहा गया कि इन कानूनों को राज्यपाल आरएन रवि की ओर से स्वीकृति दे गई है। तमिलनाडु सरकार का यह निर्णय देश में ऐसा पहला उदाहरण है, जहां राज्य सरकार ने राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के बजाय न्यायालय के आदेश के आधार पर कानून को लागू किया है।राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अपनी वेबसाइट पर अपना फैसला अपलोड किए जाने के एक दिन बाद जारी की गई। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करने और विधायिका की ओर से उन्हें पुनः पारित किए जाने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए राज्यपाल की आलोचना भी की है।

सरकार के राजपत्र अधिसूचनाओं में सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल की ओर से विधेयक लौटाए जाने और विधायिका की तरफ से उन्हें पुनः पारित किए जाने के बाद, राज्यपाल को सांविधानिक रूप से उस पर सहमति देना आवश्यक है और वह इसे राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते।द्रमुक सांसद और वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तमिलनाडु सरकार ने सरकारी राजपत्र में 10 अधिनियमों को अधिसूचित किया है और वे लागू हो गए हैं। इतिहास रच दिया गया है क्योंकि ये भारत में किसी भी विधानमंडल के पहले अधिनियम हैं जो राज्यपाल या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना बल्कि शीर्ष न्यायालय के निर्णय के आधार पर प्रभावी हुए हैं।