महिला आरक्षण बिल के सहारे विपक्षी दलों ने ओबीसी और दलित समाज के आरक्षण की बात कर बीजेपी की बढ़ा दी है टेंशन
महिलाओं को लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने वाला ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ संसद के दोनों ही सदनों से पास हो गया है. अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण कानून बन जाएगा, लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने में अभी भी लंबा वक्त लगेगा. माना जा रहा है कि मोदी सरकार की ओर से आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देने का कदम यूं ही नहीं उठाया गया था बल्कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत चला था.बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में आरक्षण विधेयक के जरिए 50 फीसदी महिला मतदाताओं को साधने के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन INDIA को घेरने के लिए जबरदस्त तरीके रणनीति अपनाया था।
लेकिन, कांग्रेस ने बड़ी सावधानी और स्ट्रैटेजी के साथ अपने सालों पुराने एजेंडे को साकार कराया और साथ ही INDIA गठबंधन के घटक दलों के साधे रखकर मोदी सरकार के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने में सफल रही है.2024 में नरेंद्र मोदी को सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस सहित 28 विपक्षी दलों ने मिलकर INDIA गठबंधन का गठन किया है. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एक सीट पर अपना एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने की प्लानिंग कर रहा है. 2024 में वन टू वन की लड़ाई में बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है. हाल ही में हुए उपचुनाव में विपक्ष की यह रणनीति सियासी मुफीद साबित हुई है।
ऐसे में सियासी चर्चा तेज हो गई थी कि बीजेपी के लिए 2024 की चुनावी राह काफी मुश्किलों भरी हो सकती है।महिला आरक्षण बिल ने विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दलों की एकजुटता को भी मजबूत दे दी है. सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी सहित कांग्रेसी नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में एक तरफ महिला आरक्षण का समर्थन किया तो दूसरी तरफ बिल में ओबीसी समुदाय के लिए कोटा फिक्स करने और देश में जातिगत जनगणना का मुद्दा भी सेट करने की कोशिश की है. ओबीसी पॉलिटिक्स पर अभी तक सपा, आरजेडी, जेडीयू और डीएमके जैसे दल ही मुखर थे, लेकिन अब कांग्रेस भी उसे अपना लिया है. इस तरह बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन INDIA को नई ताकत मिल गई है।