चैत्र नवरात्रि का आज है अंतिम दिन,इस मंत्र और आरती के साथ करें मां सिद्धिदात्री की पूजा

 चैत्र नवरात्रि का आज है अंतिम दिन,इस मंत्र और आरती के साथ करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
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चैत्र नवरात्रि 2025 का आज अंतिम दिन है और इस दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाएगी. नवरात्रि के अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से मां सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही आज रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, सुकर्मा समेत कई शुभ योग भी बन रहे हैं. मां दुर्गा के इस स्वरूप की मनुष्य, किन्नर, साधु-संत, देवी-देवता, असुर आदि सभी पूजा अर्चना करते हैं. आज माता की पूजा के बाद कन्या पूजन किया जाएगा और इसी के साथ नवरात्रि का समापन भी हो जाएगा. नवरात्रि के साथ आज रामनवमी का पर्व भी मनाया जाएगा।

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माता सिद्धिदात्री के मंत्र:

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जप करें।

मां सिद्धिदात्री की आरती:

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!

मां सिद्धिदात्री की कथा:

मां दुर्गा के नौवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री का है. इन्हे सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली माना जाता है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार मां सिद्धिदात्री को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हैं पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था. मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं. मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप बहुत ही शक्तिशाली रूप है. मान्यता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है. कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।

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