बिहार में आखिर कब तक बनेगी बीजेपी का अपना सीएम?

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केंद्र की सत्ता पर पिछले 11 साल से काबिज भारतीय जनता पार्टी 45 साल की हो चुकी है. बीजेपी स्थापना दिवस मना रही है. बिहार में भी पार्टी खूब आगे बढ़ी और दो दशक से सत्ता की साझेदार है. बिहार बीजेपी को शिखर तक पहुंचाने में कई सूरमाओं का योगदान रहा. पर्दे के पीछे ऐसे खिलाड़ी भी थे, जिनकी बदौलत भाजपा यहां तक पहुंची है. शिवकुमार द्विवेदी बिहार में जनसंघ के पहले अध्यक्ष थे, जिनके नेतृत्व में पार्टी मजबूत हुई।21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में गठन के बाद भारतीय जनसंघ ने पहली बार 1962 में बिहार में चुनाव लड़ा था. हिलसा, नवादा और सिवान सीट पर जीत हासिल हुई थी.

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1967 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जन संघ ने 271 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और 26 सीटों पर जीत हासिल हुई. 1969 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ ने 303 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और 34 सीटों पर जीत हासिल हुई. 1970 आते-आते राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया और जनसंघ के अलावा कई दलों ने साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया।भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. मुंबई के जुहू चौपाटी पर भाजपा के फाउंडर नेताओं का जमावड़ा लगा था और लाखों की भीड़ इकट्ठी हुई थी. बिहार से पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया पूरे परिवार के साथ मुंबई पहुंचे थे. ट्रेन की एक बोगी गंगा बाबू ने अपने समर्थकों के लिए रिजर्व कराया था. मुंबई के जुहू में जो नींव नेताओं ने रखी थी, उसकी परिणति आज दिखाई दे रही है. गंगा बाबू 1967 और 1969 में विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. बाद के दिनों में गंगा बाबू को विधान पार्षद बनाया गया और सिक्किम के राज्यपाल भी बने।बिहार में 1967 में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी, महामाया प्रसाद मुख्यमंत्री बने. महामाया प्रसाद की सरकार में जनसंघ भी शामिल था. 1970 में कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने. 1977 में भी बिहार में गैर कांग्रेसी सरकार बनी लेकिन 1980 आते-आते जनसंघ का दोहरी सदस्यता के सवाल पर जनता पार्टी के साथ विवाद हुआ और विवाद के चलते जनसंघ ने खुद को अलग कर लिया और यही भाजपा के गठन की वजह बनी।

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