इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर उलझने वाला है पेंच,सबसे अधिक सीटों पर लड़ेंगे नीतीश कुमार!
लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज होने लगी है। सत्ताधारी गठबंधन एनडीए (एनडीए) और विपक्षी दलों के गंठजोड़ आई.एन.डी.आई.ए. के बीच तरकश में तीर सजाए जाने लगे हैं। इसी महीने हो रहे संसद के विशेष सत्र के बाद दोनों गठबंधन खुल कर मैदान-ए-जंग में उतरने की कोशिश करेंगे। इसी महीने विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक भी होनी है। विपक्षी गठबंधन में शामिल हर दल सीट शेयरिंग फार्मूले के लिए अपनी-अपनी योजनाएं बैठक में रखेगा। बिहार में जेडीयू और आरजेडी ने अलग-अलग बैठकें शुरू कर दी हैं। कांग्रेस और वाम दल भी तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि कांग्रेस के बारे में कोई भी निर्णय आलाकमान लेगा, लेकिन बिहार इकाई भी सक्रिय हो गई है। वामपंथी दलों में बिहार में सर्वाधिक मजबूत सीपीआई (एमएल) है। उसने तो कांग्रेस की तरह ही सीटों की दावेदारी भी पेश कर दी है।बिहार एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान का अधिक खतरा नहीं है। इसलिए कि बीजेपी के पास सीट बंटवारे के दो फार्मूले पहले से ही मौजूद हैं।
बीजेपी की पहली कोशिश है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह सीटों का बंटवारा हो। तब बीजेपी के साथ जेडीयू नहीं था। भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को पीएम फेस घोषित करते ही नीतीश कुमार ने विरोध शुरू कर दिया था। आखिरकार उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। बीजेपी के साथ तब उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और लोजपा घटक पार्टियां थीं। बीजेपी ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 22 पर जीत दर्ज की थी। इस बार भी नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। इसलिए 2014 की तरह बीजेपी अपने लिए 30 सीटें रखना चाहती है।एनडीए के घटक दलों में रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के दोनों धड़ों को बीजेपी पिछली बार जितनी ही यानी 6 सीटें इस बार भी देगी। उपेंद्र कुशवाहा के आरएलजेडी को पूर्व की भांति तीन सीटें मिलेंगी। जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ को एक सीट मिलने की संभावना है। वीआईपी के मुकेश सहनी पर भी भाजपा की नजर है। उनके लिए भी मांझी की तरह एक सीट बीजेपी अपने कोटे से दे सकती है। हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव में लोकसभा की भरपाई के वादे पर भाजपा मुकेश सहनी को मनाने की कोशिश करेगी। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होना है।