दरभंगा AIIMS सिर्फ बनकर रह गया राजनीति का मुद्दा,तेजस्वी और केंद्र के कारण नहीं निकला कोई रिजल्ट

सर, दरभंगा एम्स राजनीति में फंस गया है. आप ही कुछ कीजिए… दिल्ली मेट्रो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राम बहादुर शाह के गुहार लगाने की यह कहानी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. 2015 में पहली बार बिहार में पटना के अलावा एक और एम्स बनाने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन 8 साल बाद भी इसका नतीजा शून्य ही रहा.2019 और 2020 के चुनाव से पहले दरभंगा एम्स को बीजेपी और जेडीयू ने बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन राह अलग होने के बाद अब दोनों आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में कूद पड़ी है. हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने दरभंगा एम्स के लिए बिहार सरकार पर ठीक जमीन नहीं देने का आरोप लगाया है. वहीं बिहार सरकार का कहना है कि 151 एकड़ जमीन की व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय उसे लेने को राजी नहीं है. दरभंगा एम्स के बनने से उत्तर बिहार के 8 जिलों के करीब 3 करोड़ लोगों को सीधा फायदा होगा।

12 अगस्त को पंचायती राज परिषद बंगाल के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा एम्स का जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए कई जगहों पर एम्स का निर्माण कराया गया है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में दरभंगा में भी एम्स बनाने का दावा किया.प्रधानमंत्री के भाषण के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इसे सफेद झूठ बताया. वहीं छात्र संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने केंद्र से सच्चाई बताने की मांग की. संगठन के नेता एम्स बनाने की मांग को लेकर 3 दिन तक अनशन पर भी बैठे.बिहार में दरभंगा एम्स पर मचे सियासी बवाल के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोशल मीडिया पर एक पत्र शेयर किया, जिसमें बिहार सरकार पर ठीक ढंग से जमीन नहीं देने का आरोप लगाया गया था।