प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार वापस लेंगे चक्रपाणि महाराज,किया ऐलान

 प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार वापस लेंगे चक्रपाणि महाराज,किया ऐलान
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अबकी बार, 400 पार’ के नारों के साथ लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का देशभर में धुआंधार कैंपेन जारी है. पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह से लेकर तमाम छोटे-बड़े नेता लगातार वोटरों को रिझाने के लिए प्रचार में जुटे हैं. इस बीच अखिल भारत हिंदू महासभा ने बीजेपी को बड़ी राहत दी है.दरअसल, अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने उत्तर से लेकर दक्षिण तक करीब 10 राज्यों में अपने प्रत्याशियों को उतारने का ऐलान किया था. हालांकि अब चक्रपाणि महाराज ने उम्मीदवारों के नाम वापस लेने का ऐलान किया है. अखिल भारत हिंदू महासभा ने कहा था कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार,मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल , तेलंगाना और तमिलनाडु में चुनाव लड़ेगी. पार्टी ने यूपी की 28 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी.चक्रपाणी महाराज ने कहा, ‘अखिल भारत हिंदू महासभा के वाराणसी से प्रत्याशी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में वापस लेने का निर्णय किया गया है. अन्य पार्टियों से भी, इंडिया गठबंधन से अपील करता हूं कि उनको प्रधानमंत्री के सम्मान में अपने प्रत्याशी वापस ले लेना चाहिए. नरसिम्हा राव जब साउथ से चुनाव लड़े थे तो उस समय उनके सम्मान में सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशी हटा लिए थे और उस समय नरसिम्हा राव निर्विरोध चुने गए थे.’उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री से अनेक राजनीतिक पार्टियों का वैचारिक मतभेद हो सकता है. मैं राम मंदिर का मुख्य पक्षकार था, हमें ट्रस्ट में जगह देना तो दूर, हमें निमंत्रण भी नहीं मिला. सरकार से थोड़ा दुख है. ट्रस्ट ने भी हमें दुख पहुंचाया. लेकिन यह सब चीज़ अपनी छोटी हो जाती है, जब व्यापक रूप से हम सोचते हैं.”चक्रपाणी महाराज ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने निश्चित रूप से देश में ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में जाकर के जिस प्रकार से देश का डंका बजाया है, देश के गौरव के मान सम्मान को बढ़ाया है. साथ ही भारत में भी आप देखिए जिस प्रकार से नवरात्र का सम्मान करते हुए मांसाहारियों का जो सनातन को भंग करने का काम करते हैं उनका पर्दाफाश करते हैं. सभी पार्टियों को एक छोटी से चीज प्रधानमंत्री के सम्मान में काशी की धरती से अपने-अपने प्रत्याशी हटा लेना चाहिए.अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा था कि अखिल भारत हिंदू महासभा 1949 से राम मंदिर को लेकर लड़ाई लड़ रहा है. 2006 से उस लड़ाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मैंने इस लड़ाई को लड़ी.उन्होंने कहा, ”राम मंदिर की लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हमने पुरजोर तरीके से लड़ी. इस मामले में कुल 26 पक्षकार थे जिसमें 6 पक्षकार हिंदू की तरफ से थे जिसमें सबसे पुराना हिंदू महासभा है. इसमें सबसे ज्यादा पैसे हमने खर्च किए , सबसे ज्यादा समय हमने दिया लेकिन जब फैसला आया तो ट्रस्ट में हमें कोई जगह नहीं मिली, सिर्फ निर्मोही अखाड़े को जगह दी गई.”चक्रपाणि महाराज ने कहा कि इसमें एक धर्मदास जी थे, एक रामालय ट्रस्ट था ,हम थे, और भी ऐसे कई लोग थे जिनको ट्रस्ट में कोई जगह नहीं मिली. पर तब भी हम चुप रहे. इसके बाद जब भूमि पूजन हुआ तब भी उन्होंने हमें आमंत्रित नहीं किया और तब भी हम चुप रहे इस बात को सोचकर कि क्या पता कोरोना के कारण हमें ना बुलाया गया हो. उसके बाद जब राम मंदिर का पूजन हुआ तब भी हमें अपमानित किया गया और हमें नहीं बुलाया गया.उन्होंने कहा कि ऐसे ऐसे साधु महात्माओं को बुलाया गया जो राम मंदिर की लड़ाई के विषय में हमसे हर एक अपडेट लिया करते थे. उन्होंने कहा कि उस दौरान ऐसा प्रतीत होता था कि राम मंदिर का निमंत्रण एक स्टेटस सिंबल हो गया है और अनेकों लोग राम मंदिर का आमंत्रण पत्र अपने-अपने सोशल मीडिया पर डालते थे पर हम जिसने इसकी लड़ाई लड़ी उसको पूछा तक नहीं गया.अपने बयानों को लेकर स्वामी चक्रपाणि महाराज अक्सर चर्चा में रहते हैं. चक्रपाणि उस वक्त मीडिया में आए थे जब उन्होंने वांटेड दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को खरीद कर उसे सार्वजनिक शौचालय के रूप में परिवर्तित करने की बात कही थी.अखिल भारत हिंदू महासभा का गठन 1915 में हुआ था और 1933 में सियासी संगठन बना. पंडित मदन मोहन मालवीय ने इसकी स्थापना की थी और तब से ये पार्टी चली आ रही है. इसी पार्टी से महंत अवैद्यनाथ सांसद बने थे और 2001 में इसी पार्टी से गोरखपुर से राधा मोहन अग्रवाल को चुनाव लड़े. हालांकि पार्टी में हुई गुटबाजी के बाद दावेदारी को लेकर मामला कोर्ट तक गया. दिल्ली के मंदिर मार्ग पर इस दल के मुख्यालय को लेकर भी विवाद है.इस दल पर तीन गुटों का दावा है.एक तरफ स्वामी चक्रपाणि महाराज खुद को उसका अध्यक्ष बताते हैं. वहीं दूसरी तरफ मुन्ना शर्मा खुद को इस पार्टी का अध्यक्ष बताते हैं. तीसरा एक और गुट है जिसमें फिलहाल कोई अध्यक्ष नहीं है और उस गुट ने दल के झंडे को ही अपना अध्यक्ष मान लिया है.इस गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि पार्टी को लेकर गुटबाजी है, लेकिन संगठन के चुनाव होने पर जिसे भी अध्य़क्ष चुना जाएगा उसी के नेतृत्व में काम करेंगे. संगठन के सभी कार्यकर्ता एक हैं, विवाद सिर्फ अध्यक्ष का है.चक्रपाणि महाराज के की तरफ से प्रत्याशियों के ऐलान पर मुन्ना शर्मा ने कहा कि चक्रपाणि महाराज अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष नहीं हैं. मुन्ना शर्मा ने सिविल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का हवाला देते हुए कहा कि इन अदालतों ने चक्रपाणि महाराज को अखिल भारत हिंदू धर्म महासभा का अध्यक्ष मानने से इनकार किया है.इस दावे पर चक्रपाणि महाराज ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डीसी त्यागी के 2010 के एफिडेविट का जिक्र किया, जिसमें मुन्ना शर्मा को 2006 में ही पार्टी से निष्कासित करने की बात कही गई है. मुन्ना शर्मा पर इसमें पार्टी के फंड में गड़बड़ी के भी आरोप लगाए गए हैं।

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