बिहार में बढ़ाया जाए आरक्षण का दायरा,किया जाए 85%,तेजस्वी ने चुनाव से पहले कर दी बड़ी मांग

केंद्र सरकार ने देश में जाति आधारित जनगणना करवाने की घोषणा कर दी है. कैबिनेट की बैठक में 4 मई को जाति आधारित जनगणना करवाने को लेकर समय भी बता दिया गया है. बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिहार में अब जाति आधारित सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण का दायरा 85% बढ़ाने की मांग की है।नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार में फिर से आरक्षण का दायरा 85% करने की मांग की. तेजस्वी यादव ने लिखा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार में जाति आधारित सर्वेक्षण करवाया गया था, जिसके आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़कर 65 फीसदी और 10% ईडब्ल्यूएस के साथ मिलकर कुल आरक्षण की सीमा 75 % की थी. तेजस्वी यादव ने आरक्षण सीमा को लेकर नवमी अनुसूची में देने की मांग की।तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि, ”विपक्ष में रहते एवं अगस्त 2022 में सरकार में आने के बाद हमारे अथक प्रयासों से महागठबंधन सरकार द्वारा वर्ष 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य पूर्ण कराया गया था. गणना उपरान्त राज्य की विभिन्न जातियों की जनसंख्या एवं उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर विधेयक पारित कराकर राज्य के पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था।बिहार में सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन हेतु कुल 75 प्रतिशत आरक्षण सीमा निर्धारित की गयी थी. दलित-आदिवासी, पिछड़े-अति पिछड़े के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को महागठबंधन सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से बढ़े हुए आरक्षण का लाभ दिलाना सुनिश्चित हुआ था।तेजस्वी यादव ने कहा कि तमिलनाडु में पिछले 35 सालों से वहां के लोगों को 69 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. इस परिस्थिति में अब यह अति आवश्यक है कि सरकार द्वारा एक सर्वदलीय समिति का गठन किया जाए.

एक नया आरक्षण विधेयक पारित करा कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर इसे 9वीं अनुसूची में डालने की अनुसंशा केन्द्र सरकार से की जाए।तेजस्वी यादव ने पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री जी, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह समझा जाएगा कि आप और आपकी सरकार जान-बूझकर इस मामले को लटका और भटका रही है. आपको मालूम है कि 17 महीनों की महागठबंधन सरकार के दौरान लाखों नौकरियां दी गई तथा लगभग 3,50,000 नौकरियां प्रक्रियाधीन की गयी।हमारी सरकार द्वारा बढ़ाए गए अतिरिक्त 16 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिलने की वजह से दलित-आदिवासी, पिछड़े-अति पिछड़े अभ्यर्थियों को प्रक्रियाधीन नियुक्तियों में लाखों नौकरियों का नुकसान हो रहा है. जो कि आरक्षण एवं समानता की अवधारणा तथा उस विधेयक के उद्देश्यों के साथ खिलवाड़ है।तेजस्वी यादव ने अपने पत्र के माध्यम से इस मसले पर सर्दलीय बैठक बुलाने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि आग्रह है कि यथाशीघ्र सर्वदलीय समिति का गठन करते हुए बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र आहूत किया जाए. जिसमें कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए विधेयक पारित करा उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को तीन सप्ताह के अन्दर भेजने की कृपा की जाए।