नीतीश कुमार को लेकर अमित शाह के दिए गए बयान से बढ़ी बिहार की राजनीति में गर्माहट,क्या पला बदलने की तैयारी में हैं सीएम नीतीश?
बिहार में इन दिनों कड़ाके की ठंड है। मौसम की हवा सर्द है लेकिन सियासत की हवा अचानक से गर्म हो गई है। एक अखबार पत्रिका को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान से और भी गर्माहट आ गई है। उधर लालू प्रसाद यादव अपने बेटे और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार के आवास एक अणे मार्ग पहुंच गए। मुलाकात अभी चल ही रही थी की जीतन राम मांझी ने कह दिया कि 25 जनवरी तक उनके विधायकों को पटना में जमे रहने के लिए कह दिया गया है। कुछ भी हो सकता है।दरअसल अमित शाह से पत्रिका ने ये सवाल पूछा कि ‘पुराने साथी जो छोड़कर गए थे नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहेंगे तो क्या रास्ते खुले हैं?’ इस पर अमित शाह ने बहुत सधा हुआ लेकिन एक तरह से स्पष्ट जवाब दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती। किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा।’ यानी इस तरह से अमित शाह ने करीब-करीब ये साफ कर दिया कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी में लगा नो एंट्री का बोर्ड हट गया है। लेकिन पहल उन्हें ही करनी होगी। अब ये पहले होगी या नहीं, संशय इसी बात पर है।बीजेपी के एक सूत्र ने NBT को कहा कि पार्टी को अभी लोकसभा चुनाव दिख रहा है। ऐसे में अगर उसके पास कोई वापसी करना चाहेगा तो उसके लिए उसे अपनी शर्तों का त्याग कर बीजेपी की शर्तों पर ‘घर वापसी’ करनी होगी। उधर लालू और तेजस्वी नीतीश से क्यों मिले, इसका कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। इस सियासी हलचल को लेकर कयासों का दौर भी जारी है।अमित शाह के बयान को देखें तो उन्होंने कहा कि अगर किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा। तीन शब्द इसमें अहम हैं ‘किसी’, ‘प्रस्ताव’ और ‘विचार’। किसी का मतलब सवाल में ही है और वो हैं नीतीश कुमार। अब बात प्रस्ताव की… यानी नीतीश अगर ऑफर देंगे तब। तीसरी बात विचार। यानी इस बार बीजेपी ऑफर आने पर कबूल नहीं करेगी। वो ऑफर कबूल करने के लिए शर्त भी रख सकती है, क्योंकि विचार तभी किया जाता है जब कुछ तय करना हो, अपनी बात स्पष्ट कहनी हो तो ये तो चाहिए ही चाहिए। खैर, अभी तो सब कयास हैं लेकिन सियासी सरगर्मी इशारे तो दे ही रही है।