आकाश आनंद की होने जा रही है बिहार में सियासी एंट्री,मायावती ने बना लिया चुनावी प्लान

बहुजन समाज पार्टी में घर वापसी के बाद आकाश आनंद ने बिहार की सियासी पिच पर कदम रख दिया है. छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के मौके पर पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित सम्मेलन में मायावती के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय चीफ कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की मौजूदगी ने पार्टी की नई उम्मीदों को जन्म दिया है. बिहार की राजनीति में यह उनकी पहली बड़ी परीक्षा मानी जा रही है जो बीएसपी के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।बिहार युवा आबादी वाला राज्य है और तमाम दल युवाओं को साधना चाहते हैं. बसपा भी बिहार विधानसभा चुनाव में दो दो हाथ के लिए तैयार है. पार्टी सभी 243 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर चुकी है.बसपा इस बार अकेले दम पर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर रही है और उसकी खास नजर कोयरी-कुर्मी वोट बैंक पर है. इसी रणनीति के तहत साहू जी महाराज की जयंती के बहाने पटना में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया, जहां से पार्टी ने इस प्रभावशाली पिछड़ी जाति को साधने का संदेश देने की कोशिश की.

उल्लेखनीय है कि साहू जी महाराज स्वयं कुर्मी समाज से आते थे और बिहार बसपा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार भी इसी जाति से हैं, जिससे पार्टी को सामाजिक समीकरण साधने में अतिरिक्त मजबूती मिलने की उम्मीद है।इस तरह मायावती के भतीजे आकाश आनंद की पहली सियासी परीक्षा बिहार में होने जा रही है, लेकिन सवाल यही है कि क्या पार्टी को सियासी संजीवनी दे पाएंगे?सम्मेलन में आकाश आनंद का कहना है कि जिस तरह बहन मायावती ने उत्तर प्रदेश में दलित, पिछड़े और अति पिछड़ों को साथ लेकर इतिहास रचा है उसी तरह बिहार में भी बसपा एक नया सामाजिक परिवर्तन लेकर आएगी. मायावती ने साहू जी महाराज की स्मृति में गरीबों को जमीन देकर और शिक्षा को बढ़ावा देकर उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण काम किया है जिसे बिहार में भी दोहराया जाएगा।उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों में बसपा मजबूत है. गोपालगंज, चंपारण और शाहाबाद क्षेत्र बसपा का मजबूत पॉकेट माना जाता है. पार्टी दलित वोट में पिछड़ा औरत पिछड़ा का तड़का लगाना चाहती है. इसी क्रम में साहू जी महाराज की जयंती मनाई गई और जाति विशेष को साधने की कोशिश हुई बहुजन समाजवादी पार्टी की ओर से पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में साहू जी महाराज की जन्म जयंती के मौके पर सम्मेलन का आयोजन किया कार्यक्रम में बिहार भर से आए बसपा के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।वोट बैंक की अगर बात कर ले तो बिहार में दलितों की आबादी 19.65% है. अति पिछड़ा आबादी 36.01% है तो पिछड़ों की आबादी 27.12% है. अगर तीनों वोट बैंक को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा 82% के आसपास पहुंच जाता है. इसी समीकरण के जरिए बसपा बिहार में अकेले दम पर सरकार बनना चाहती है. बसपा बिहार में किसी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती है और इसके संकेत भी साफ तौर पर दे दिए गए हैं।बिहार में बहुजन समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत स्थिर नहीं रहा है. बसपा को 5% से कम वोट मिल रहा है. 1995 विधानसभा चुनाव की अगर बात कर ले तो बसपा को 1.34 प्रतिशत वोट मिले और खाते में दो सीटें गई. 2000 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 1.89% वोट मिले और खाते में पांच विधानसभा सीटें गयी।