बिहार में भी बीजेपी को मजबूत करेगी RSS,पार्टी के लिए धरातल स्तर पर करेगी काम!

हाल के महीनों में जहां-जहां विधानसभा के चुनाव हुए, उन जगहों पर भाजपा ने बेहतर पर प्रदर्शन किया. चाहे महाराष्ट्र की बात हो, हरियाणा की बात हो, या फिर दिल्ली की बात हो. इन जगहों पर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई और भारतीय जनता पार्टी मजबूत हुई. सवाल यह उठता है कि पिछले और सालों की अपेक्षा भारतीय जनता पार्टी लगातार बेहतर प्रदर्शन क्यों कर रही है?भारतीय राजनीति को समझने वाले पंडित यह कहते हैं कि जिन-जिन जगहों पर चुनाव हुए वहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने काफी मेहनत की और एक ऐसा आधार बनाया, जिससे भारतीय जनता पार्टी ने अपनी बढ़त बनाई. अब सवाल यह उठता है आरएसएस यानि की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारतीय जनता पार्टी को किस रूप में मदद करती है? क्या आरएसएस बीजेपी के लिए प्रचार करता है? या स्वयंसेवक भाजपा नेताओं प्रचार प्रसार में लगे रहते हैं?

आरएसएस को यह महसूस हुआ कि राजनीति में आकर अपने उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है. ऐसे में भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 में हुई थी. इसके संस्थापक सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय रहे थे. लेकिन बाद के दिनों में गठबंधन में रहते हुए जनसंघ को समाप्त करके 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई थी. जिसके प्रमुख अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी सहित कई नेता थे।चुनाव प्रचार में स्वयंसेवकों की अलग भूमिका होती है. यह बताते हुए प्रवीण बागी कहते हैं कि संघ के कार्यकर्ताओं को कोई ऊपर से निर्देश नहीं दिया जाता है कि वह भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार करें. वह स्वयं अपनी विचारधाराओं के साथ जहां वह रहते हैं वहां वह प्रचार प्रसार करते हैं. लोगों को यह बताते हैं कि जो उम्मीदवार आ रहे हैं उसमें कौन से उम्मीदवार बेहतर काम करेंगे, समाज के लिए बेहतर होंगे, राष्ट्रवादी होंगे। जाहिर सी बात है संघ से यदि भाजपा के नेता उम्मीदवार जुड़े रहते हैं तो उन्हें इसका बहुत फायदा होता है. स्वयंसेवक कभी भी भारतीय जनता पार्टी का झंडा या पंपलेट लेकर लोगों के बीच में प्रचार प्रचार करने नहीं जाते हैं. किसी मंच से वह भाषण नहीं देते लेकिन, जिस समाज में रहते हैं वहां वह एक माहौल बनाते हैं बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए।