चिराग पासवान के रस्ते पर चलेंगे आरसीपी सिंह,नीतीश कुमार को करेंगे डैमेज!

बिहार की सियासत में 2 साल से दरबदर आरसीपी सिंह अब चुनावी मैदान में कूदेंगे. आरसीपी ने इसके लिए नई पार्टी बनाने का ऐलान भी कर दिया है. 2025 के चुनाव में आरसीपी किसे सबसे ज्यादा नुकसान कर पाएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन जिस सियासी पैटर्न पर आरसीपी आगे बढ़ रहे हैं, उससे उन्हें नालंदा का चिराग मॉडल कहा जा रहा है.ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए आरसीपी सिंह को एक वक्त में नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन वक्त के करवट लेते ही आरसीपी नीतीश के सबसे धुर-विरोधी हो गए हैं. कहा जाता है कि आरसीपी की सियासत अब तभी चमक सकती है, जब नीतीश का कोई सियासी खेल हो जाए.2021 में आरसीपी सिंह ने जेडीयू का साथ छोड़ दिया. उस वक्त पार्टी ने उन पर अवैध तरीके से जमीन खरीदने के आरोप में सफाई मांगी थी. आरसीपी उस वक्त केंद्र में मंत्री भी थे, लेकिन राज्यसभा न भेजे जाने के कारण उन्हें पद से भी इस्तीफा देना पड़ा. आरसीपी इसके बाद कुछ दिन अपने गांव पर ही रहे, लेकिन नीतीश के आरजेडी के साथ जाने से आरसीपी बीजेपी की तरफ चले गए.2024 में जब नीतीश फिर एनडीए में आए तो बीजेपी ने आरसीपी से मुंह मोड़ लिया।

आरसीपी 2024 के लोकसभा चुनाव में नालंदा सीट से लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने जेडीयू कोटे में यह सीट दे दी. आरसीपी इसके बाद से ही अलग-थलग रहने लग गए. हाल ही में आरसीपी सिंह ने खुद की नई पार्टी बनाने की घोषणा की है, जिसे अब मूर्त रूप दिया गया है. आरसीपी की पार्टी 2025 के चुनावी रण में उतरेगी.आरसीपी सिंह नालंदा जिले के मुस्तफापुर निवासी हैं. कुर्मी समुदाय से आने वाले आरसीपी 2010 में पहली बार राजनीति में आए. एक वक्त आरसीपी को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन 2021 के बाद से ही आरसीपी नीतीश पर हमलावर हैं.कहा जा रहा है कि 2025 के चुनाव में अभी एक साल का वक्त बचा है और आरसीपी मुख्य रूप से नालंदा पर फोकस कर सकते हैं. कुर्मी बहुल नालंदा को नीतीश कुमार का गढ़ माना जाता है. नालंदा लोकसभा में विधानसभा की 7 सीटें हैं.सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को 2020 में घेरने के लिए जिस तरह पूरे बिहार में चिराग पासवान मैदान में उतरे थे. उसी तरह इस बार नालंदा में मजबूत तैयारी के साथ आरसीपी सिंह उतर रहे हैं. 2022 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वर्तमान में केंद्रीय मंत्री और पूर्व जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि 2020 में चिराग मॉडल नहीं होता तो जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनती. 2020 में जेडीयू को सिर्फ 43 सीटों पर जीत मिली थी. नीतीश कुमार की पार्टी को करीब 40 विधानसभा सीटों पर चिराग पासवान के उम्मीदवार की वजह से हार का सामना करना पड़ा.नालंदा में विधानसभा की 7 सीटें हैं, जिसमें से 5 सीटों पर पिछली बार नीतीश की पार्टी को जीत मिली थी. एक पर लालू यादव की आरजेडी और एक पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी. इस्लामपुर सीट पर जेडीयू उम्मीदवार को 12 वोटों से जीत मिली थी. इसी तरह अस्थावां सीट पर जेडीयू के प्रत्याशी 11 हजार वोट से जीत पाए थे. नालंदा और राजगीर सीट पर 16-16 हजार वोटों से जेडीयू उम्मीदवारों को जीत मिली थी. ऐसे में अगर अगले चुनाव में आरसीपी सिंह के प्रत्याशी कुर्मी वोट बड़े स्तर पर काटने में सफल रहते हैं तो नीतीश की पार्टी के साथ गढ़ में ही खेल हो सकता है।