वरुण गांधी ने अपने क्षेत्र के जनता के नाम लिखा पत्र,कहा-पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक नहीं हो सकता है खत्म

 वरुण गांधी ने अपने क्षेत्र के जनता के नाम लिखा पत्र,कहा-पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक नहीं हो सकता है खत्म
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लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। विभिन्न पार्टियों ने कई सांसदों को दोबारा टिकट दिया है तो वहीं, कई के टिकट काट भी दिए गए हैं। इसी क्रम में भाजपा ने पिलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाए जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। अब वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम एक भावुक संदेश लिखा है। उन्होंने कहा है कि आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है।वरुण गांधी ने अपने पत्र में कहा कि अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। वरुण गांधी ने पत्र में लिखा- “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई।”वरुण गांधी ने पीलीभीत को लिखे गए पत्र में कहा है कि एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ और मेरे दरवाजे आपके लिये हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। वरुण ने कहा कि मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूँ कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हूं और रहूँगा।

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