50 दिनों से जारी है आशा कार्यकर्ताओं का विरोध,कब सुनेगी सरकार?

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केरल में आशा कार्यकर्ताओं का विरोध पिछले 50 दिनों से जारी है. आशा कार्यकर्ता, सरकार पर उनकी मांगों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. यही कारण है कि सोमवार को सरकार का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए उन्होंने विरोध का अनोखा अंदाज चुना, कार्यकर्ताओं में शामिल कुछ महिलाओं ने अपने सिर मुंडवाकर लिए तो कई महिलाओं ने अपने बाल काट दिए. आशा कार्यकर्ताओं का ये विरोध केरल सचिवालय के बाहर जारी है. प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं वेतन में वृद्धि करने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं।अलप्पुझा और अंगमाली में प्रदर्शन कर रहीं कार्यकर्ताओं ने भी बाल कटवाकर विरोध जताया. प्रदर्शनकारियों ने बाद में कटे हुए बालों को हाथों में लेकर व्यस्त एमजी रोड पर मार्च निकाला. प्रदर्शनकारी पिछले एक सप्ताह से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी कर रहे हैं।

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विरोध प्रदर्शन के बीच केरल की वामपंथी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानदेय में इतनी अधिक वृद्धि व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है और कहा कि आशा कार्यकर्ताओं की मांगों पर ध्यान देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।केरल में प्रदर्शन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं ने 20 मांगों की एक सूची प्रस्तुत की है, जिसमें एक मूलभूत मांग यह है कि उन्हें औपचारिक कार्यकर्ता के रूप में मान्यता दी जाए और उनके काम के लिए उचित मुआवजा दिया जाए. 16 वर्ष की सेवा के बाद आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग के स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. आशा कार्यकर्ताओं के कर्तव्यों को केवल स्वास्थ्य सेवा तक सीमित रखें।इसके अलावा आशा कार्यकर्ता अपनी वेतन वृद्धि के लिए प्रदर्शन कर रही हैं. कार्यकर्ता अपने मानदेय को 7000 से बढ़ा कर 21000 रुपये करने की मांग कर रही हैं, हालांकि सरकार इतनी वेतन वृद्धि को लेकर सरकार ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है. आशा कार्यकर्ताओं की मांग है कि 62 साल की उम्र में रिटायरमेंट होने के बाद उन्हें पांच लाख रुपये का एकमुश्त भुगतान किया जाए।

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