BJD, YSRCP का समर्थन नहीं होगा आसान?जानिए पूरी समीकरण

 BJD, YSRCP का समर्थन नहीं होगा आसान?जानिए पूरी समीकरण
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बीते चुनाव की जब भी बात होती है, बरबस लोकसभा चुनाव परिणामों के जिक्र से चर्चा समाप्त हो जाती है. पर ध्यान रहे इस दौरान 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए. जिनमें सबसे अधिक चर्चा आंध्र प्रदेश और ओडिशा की रही. आंध्र प्रदेश में तो बस पांच बरस पहले ‘जननायक’ बनकर उभरे वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी (YSRCP) का लोकसभा और विधानसभा दोनों में सफाया हो गया. वहीं, करीब दो दशक से ओडिशा का पर्याय बन चुके नवीन पटनायक और उनकी बीजू जनता दल को प्रदेश में करारी शिकस्त मिली. लेकिन इससे इन दोनों राजनीतिक दलों की ताकत संसद में पूरी तरह समाप्त नहीं हुई. जरूर लोकसभा में दोनों पार्टियों के सांसदों की संख्या बड़े पैमाने पर घटी है लेकिन राज्यसभा में इन दोनों क्षेत्रीय क्षत्रपों की ताकत जस की तस है.राज्यसभा में वाईएसआरसीपी के फिलहाल 11 जबकि बीजू जनता दल के 9 सांसद हैं. उधर भारतीय जनता पार्टी के पास संसद के इस उच्च सदन में दस साल के शासन के बाद भी अपने दम पर कौन कहे, सहयोगियों के सांसदों की संख्या को भी जोड़ दिया जाए तो बहुमत नहीं है. राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 245 है. इस तरह यहां बहुमत के लिए या यूं कहें कि किसी भी बिल को पारित कराने के लिए 123 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. फिलहाल एनडीए के सभी सहयोगी दलों के राज्यसभा सांसदों की संख्या 117 ही है जो बहुमत से 6 कम है. ऐसे में, बगैर वाईएसआरसीपी या बीजू जनता दल के लिए भाजपा का कोई बिल उच्च सदन में आसानी से पारित करा पाना आसान नहीं होगा. भाजपा जरुर आने वाले दिनों में खाली हुई कम से कम 6 सीटों को जीतने की स्थिति में है लेकिन तब भी वाईएसआरसीपी और बीजू जनता दल का समर्थन उसे मजबूत बनाएगा.बीजू जनता दल ने तो राज्यसभा को लेकर अपनी स्थिति अब तक साफ नहीं की है लेकिन वाईएसआरसीपी ने कहा है कि वह मुद्दों के आधार पर सदन में अपना रुख तय करेंगे. वाईएसआरसीपी का समर्थन लेना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा क्योंकि वह चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश में हुई हिंसा के आंकड़े जुटाने का केंद्र सरकार पर दबाव बना रही है. ऐसा कहते हुए वाईएसआरसीपी एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगू देशम पार्टी पर संगीन आरोप लगा रही है. चूंकि टीडीपी के समर्थन से ही भारतीय जनता पार्टी केन्द्र में सरकार चला रही है. मोदी सरकार के लिए वाईएसआरसीपी की बातों को मानना आसान नहीं होगा. बीजू जनता दल ने अभी तक राज्यसभा में अपनी रणनीति को लेकर कुछ कहा नहीं है. लेकिन ओडिशा की राजनीति में भाजपा की सरकार का विरोध करना और केंद्र में पहले की भांति मोदी सरकार को बेशर्त समर्थन देना बीजद के लिए मुश्किल है।

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