जदयू का दामन थामते हीं गरजने लगे श्याम रजक,बोले-वहां सिर्फ परिवार का रखा जाता है ख्याल

 जदयू का दामन थामते हीं गरजने लगे श्याम रजक,बोले-वहां सिर्फ परिवार का रखा जाता है ख्याल
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आरजेडी से इस्तीफे के बाद श्याम रजक ने जेडीयू में शामिल होने की बात कही थी. वहीं, रविवार को प्रदेश कार्यालय में श्याम रजक जेडीयू में शामिल हो गए. जेडीयू में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि मुझे अब नीतीश कुमार के साथ काम करना है. नीतीश कुमार उन लोगों के लिए काम करते हैं जो आखिरी पायदान पर खड़े हैं. नीतीश कुमार के साथ जुड़कर लोगों की अपेक्षाओं को आकांक्षाओं में बदलना है.वहीं, एक बार फिर श्याम रजक ने कहा कि कुछ लोग मोहरे चल रहे थे और मैं रिश्तेदारी निभा रहा था क्योंकि मुझे शतरंज नहीं आता. आगे उन्होंने कहा कि पार्टी को सोचना है कि मैं चुनाव लड़ूंगा या नहीं? मेरी कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है.आरजेडी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने एक बार फिर से जेडीयू का दामन थाम लिया जो बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है. इस फैसले के बाद श्याम रजक ने कहा कि अपनी सोच और विचारों के साथ नीतीश कुमार की सोच के साथ जोड़ने का फैसला किया है. समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के लिए काम करना है।

बता दें कि श्याम रजक ने आरजेडी से इस्तीफा एक शायराना अंदाज में दिया था जो काफी चर्चा में रहा. इशारों-इशारों में उन्होंने लालू यादव पर कटाक्ष किया था. साथ ही हमला बोलते हुए कहा था कि आरजेडी परिवारवाद की पार्टी है जहां कार्यकर्ताओं का ध्यान नहीं रखा जाता है सिर्फ परिवार का ध्यान रखा जाता है.श्याम रजक कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. वो आरजेडी और जेडीयू दोनों दल में रह चुके हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में की थी, जब वे जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समाजवादी आंदोलन से जुड़े थे. बाद में वे आरजेडी में शामिल हो गए और 2000 में बिहार सरकार में मंत्री बने. 2015 में श्याम रजक ने आरजेडी छोड़ दिया और जेडीयू में शामिल हो गए. वे 2017 तक जेडीयू में रहे और उसके बाद फिर से आरजेडी में शामिल हो गए थे. वहीं, कई बार फुलवारी शरीफ सीट से विधानसभा के सदस्य रहे. इस बार भी इस सीट से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है।

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