साल में कम से कम 100 दिन चलेगी संसद की कार्यवाही!व्यापक बदलाव पर दिया जाएगा जोर

संसद की कार्यवाही को लेकर एक नई किताब सामने आई है। इस किताब में सुझाव दिया गया है कि संसद में बहस के प्रारूप में व्यापक बदलाव और नवाचार की जरूरत है। किताब में कहा गया है कि नेताओं की बार-बार की जाने वाली बयानबाजी के बजाय लोगों की आकांक्षाओं को संसद में बेहतर ढंग से पेश करने और लोगों की समस्याओं के समाधान पर फोकस करने की जरूरत है। किताब में साल में कम से कम 100 दिन संसद की कार्यवाही चलाने और कार्यपालिका को और जवाबदेह बनाने के लिए प्रधानमंत्री प्रश्नकाल शुरू करने का भी सुझाव दिया गया है।


लोकसभा सचिवालय में पूर्व अतिरिक्त सचिव रहे देवेंद्र सिंह द्वारा लिखित किताब ‘द इंडियन पार्लियामेंट: संविधान सदन टू संसद भवन’ में बताया गया है, ‘प्रधानमंत्री के प्रश्नकाल की शुरुआत से भारतीय संसदीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत होगी।’ इसमें कहा गया है कि सप्ताह में एक बार प्रधानमंत्री के प्रश्नकाल की शुरुआत से संसद सदस्यों को अहम मुद्दे उठाने का मौका मिलेगा और प्रधानमंत्री को सरकार की नीतियों को समझाने और आलोचनाओं का सीधे जवाब देने का मौका मिलेगा। किताब में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री प्रश्नकाल की शुरूआत से विपक्ष के आरोपों पर जवाब देने और संसद की कार्यवाही को बार-बार बाधित करने की प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल सकती है।’