राहुल गांधी को पीछे वाली लाइन में बिठाने पर बोली कांग्रेस,राजनाथ जी आपसे ये उम्मीद नहीं थी..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (15 अगस्त) को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से लगातार 11वीं बार देश को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया. स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति या कहें लाइन में बैठे हुए देखा गया. सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है. कांग्रेस ने राहुल की सिटिंग को लेकर सवाल भी पूछा है. दरअसल, राहुल से आगे ओलंपिक पदक विजेता बैठे हुए नजर आ रहे हैं. वह जिस लाइन में बैठे हैं, उसमें भी हॉकी टीम के कुछ खिलाड़ी उनके साथ बैठे हुए हैं. राहुल के पीछे दो लाइनें और हैं, जिसमें कुछ अन्य मेहमान बैठे हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि 10 साल में पहली बार विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए लाल किले पर मौजूद था. ऐसे में उसे पीछे बिठाए जाने पर विवाद हो गया है।
हालांकि, सरकार की तरफ से इस पूरे मामले पर बयान भी सामने आया है. राहुल गांधी को पीछे बैठाए जाने पर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि समारोह को लेकर भी राजनीति की जा रही है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, “रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है. नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है. लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं. राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं. आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी.”वहीं, राहुल गांधी की बैठने की जगह यानी सिटिंग पॉजिशन को लेकर हो रही राजनीति पर सरकार का भी जवाब सामने आया है. रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि इस बार आगे की कतार ओलंपिक पदक विजेताओं के लिए अलॉट करनी पड़ी, जिसकी वजह से राहुल गांधी को पीछे की कतार में बैठाना पड़ा. स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित करने और बैठने की योजना बनाने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. सूत्रों ने बताया है कि कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी इस बार पीछे बैठाना पड़ा है. प्रोटोकॉल के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता को हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है. इस बार आगे की पंक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे.