लालू-राबड़ी से पंगा ले चुके केके पाठक अब शिक्षकों से ले रहे हैं पंगा?पाठक जी को नौकरी से जल्द रिटायर कराना चाहते हैं शिक्षक

 लालू-राबड़ी से पंगा ले चुके केके पाठक अब शिक्षकों से ले रहे हैं पंगा?पाठक जी को नौकरी से जल्द रिटायर कराना चाहते हैं शिक्षक
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एक महीने पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान से बीपीएससी के नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया। इस दौरान उन्होंने संबोधन में जब केके पाठक का नाम लिया, तो शिक्षकों ने उसका समर्थन किया। लगे हाथों में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने जिन्हें शिक्षा विभाग का प्रभार दिया, वो अच्छा काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लगे हाथों शिक्षकों के बाकी रिक्त पदों की बहाली भी दो महीने के अंदर कर दीजिए। उसके बाद से केके पाठक(KK Pathak) एक्टिव हो गए। केके पाठक ने खुद के कार्यालय में बैठने की जगह जमीन स्तर पर जाकर स्कूलों का निरीक्षण करना शुरू कर दिया। बीपीएससी शिक्षकों के प्रशिक्षण केंद्र में गए। शिक्षकों को 6 घंटी पढ़ाने। पांच बजे तक स्कूल में मौजूद रहने सहित कई आदेश जारी किए।

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केके पाठक ने नवनियुक्त शिक्षकों को ईमानदारी पूर्वक बच्चों को पढ़ाने का आदेश दिया। केके पाठक की ओर से जारी कई आदेशों को लेकर शिक्षक असहज भी हुए।केके पाठक के आदेश और खौफ का आलम ये रहा कि कई जगहों पर शिक्षकों ने योगदान नहीं दिया। दरभंगा, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में कई जगहों से शिक्षकों के योगदान नहीं देने की खबर आई। उसके बाद शनिवार को पूरा दिन स्कूल चलाने, अभिभावकों के साथ संगोष्ठी करने सहित गणित और विज्ञान की एक्स्ट्रा क्लास लेने का आदेश भी शिक्षकों को पसंद नहीं आ रहा है। कई शिक्षकों ने दबी जुबान से इसे अन प्रैक्टिकल करार दिया है। शिक्षकों का कहना है कि मिशन दक्ष भी सफल नहीं होगा। स्कूल में तीन बजे के बाद कोई बच्चा ठहरना नहीं चाहता है। शिक्षक कितना काम करेंगे। उधर, केके पाठक के नए-नए फरमान से परेशान शिक्षक अब उनके रिटायर होने की तारीख खोजने में जुटे हुए हैं। कई शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आखिर ये रिटायर कब होने वाले हैं? केके पाठक स्कूल की साफ-सफाई और अन्य कुव्यवस्था पर सीधे हेड मास्टर और शिक्षकों का वेतन बंद कर देते हैं। शिक्षकों का कहना है कि गलती किसी और की होती है, सजा उन्हें भुगतनी पड़ती है।राजधानी पटना के कंकड़बाग इलाके के कई सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों ने कहा कि उन्हें टेंशन में रात भर नींद नहीं आती है। हमेशा व्हाट्सएप ग्रुप में कोई न कोई आदेश गिरते रहता है। कभी ये करना है और कभी वो करना है। रात भर व्हाट्सएप को देखते हुए रात कट जाती है। कोई भी आदेश आता है। उसे तामिल नहीं करने पर वेतन रोक दिया जाता है। ये मानवाधिकार का उल्लंघन है। केके पाठक के खिलाफ गुस्से का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि शिक्षकों ने कहा है कि वे पता लगा रहे हैं कि ये कब तक रिटायर होने वाले हैं? शिक्षकों को जिले में शिक्षा पदाधिकारियों के बनाए हुए व्हाट्सएप ग्रुप से काफी समस्या है। शिक्षकों का कहना है कि केके पाठक का नाम लेकर कई तरह के आदेश दिए जाते हैं। कई बार वो आदेश पूरा करने लायक भी नहीं होता है। कई बार आदेश प्रैक्टिकल नहीं होता है। बेवजह हेडमास्टरों के वेतन को बंद कर दिया जाता है।

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