जीतन राम मांझी पहली बार 1980 में बने थे विधायक,मुसहर जाति के बड़े नेताओं में होती है गिनती

 जीतन राम मांझी पहली बार 1980 में बने थे विधायक,मुसहर जाति के बड़े नेताओं में होती है गिनती
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जीतन राम मांझी बिहार के 23 मुख्यमंत्री रहे. मौजूदा समय में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री के रूप में कार्यरत हैं.79 साल के मांझी मोदी मंत्रिमंडल में सबसे बुजुर्ग मंत्रियों में से एक हैं. वे हिदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक हैं. वे 18वीं लोकसभा में बिहार के गया (अनुसूचित जाति) लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं. मांझी एक दलित नेता हैं और बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं. वो मुसहर समुदाय से आते हैं, जिसकी स्थिति बिहार में काफी खराब है. मांझी इसी समुदाय से आते हैं जहां लोगों ने चूहे खाकर भी गुजारा किया है.जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने जीतन राम मांझी को मज़बूत किया. इनका राजनीतिक सफर 1980 में कांग्रेस के साथ शुरू हुआ. वो किसी एक पार्टी का हिस्सा नहीं रहे. उन्होंने कई बार दल बदले. जैसे कि वो कुछ समय के लिए जनता दल (1990-96) से जुड़े. इसके बाद उन्होंने (1996-2005) में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का दामन थामा. फिर 2005 में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू में शामिल हुए और फिर 2015 में हम (सेक्युलर) की स्थापना की.पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पहली बार 1980 में गया के नक्सल प्रभावित फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. यह मांझी की पहली लोकसभा जीत थी.

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फिर वो 1991, 2014 और 2019 में गया लोकसभा सीट हार गए थे.जीतन राम मांझी ने 1983 से बिहार में कई मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया. इन मुख्यमंत्रियों में चंद्रशेखर सिंह, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, जगन्नाथ मिश्रा, लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार शामिल हैं. नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उन्हें मुख्यमंत्री नामित किए जाने से पहले वे एससी/एसटी कल्याण मंत्री थे.2014 के लोकसभा चुनाव (जब जेडी(यू) को केवल दो सीटें मिलीं) में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के हाथों अपनी पार्टी की हार से आहत नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपने का फैसला किया. उन्होंने 20 मई, 2014-20 फरवरी, 2015 यानी नौ महीने तक 23वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.बाद में उन्होंने हम (सेक्युलर) यानी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का गठन किया, इसके बाद वो आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए. महागठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी वो 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए. इस वजह से वो पिछले साल वह एनडीए में वापस लौट आए.केंद्रीय मंत्री होने की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री मांझी लोगों की उनसे अपेक्षाओं से वाकिफ हैं. चुनाव प्रचार के दौरान फ्रंटलाइन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि लोगों का मानना है कि मैंने नौ महीने तक मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य और मगध क्षेत्र में काफी विकास के काम किए हैं. इसलिए वे भविष्य में भी इस क्षेत्र का विकास कर सकते हैं.

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