एग्जिट पोल ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमाया,NDA को पूर्ण बहुमत

 एग्जिट पोल ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमाया,NDA को पूर्ण बहुमत
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दूसरे चरण का मतदान पूरा होते ही एग्जिट पोल सामने आने लगे हैं. एग्जिट पोल ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल में और अधिक हलचल पैदा कर दी है. अधिकतर पोल में यह संकेत दिया है कि एनडीए एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है. सर्वे के अनुमान के मुताबिक बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन प्रदेश की आधी से अधिक सीटों पर पकड़ बनाए दिख रहा है. एग्जिट पोल में जिस तरह के सीटों के नंबर दिखाई दे रहे हैं उसके बाद कहा जा रहा है कि मोदी-नीतीश की जोड़ी फिर काम कर गई है.जो एग्जिट पोल सामने आए हैं, उनमें एनडीए को बढ़त का अनुमान लगातार दिखाई दे रहा है. माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक, मतदाताओं ने एनडीए पर भरोसा जताया है. दूसरी ओर, महागठबंधन को कुछ सीटों पर चुनौती देते जरूर देखा गया, लेकिन उसे अपने वोटों को सीटों में तब्दील करने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. एग्जिट पोल के मुताबिक तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ तो जुटी, लेकिन उसका असर मतदान के स्तर पर उतना मजबूत दिखाई नहीं दिया, जिसके चलते विपक्ष के खेमे में बेचैनी दिखने लगी है.एग्जिट पोल में एक बार फिर से बिहार में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ दिखाई दे रहा है.

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पीपुल्स पल्स ने एनडीए को 133-159 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि महागठबंधन के खाते में 75 से 101 सीट जाती दिखाई पड़ रही है. पहली बार चुनाव में उतरी जन सुराज पार्टी के खाते में भी 5 सीटें जाती दिखाई पड़ रही है जबकि अन्य के पास 2 से 8 सीटें जा सकती हैं. वहीं मैट्रिज के सर्वे में एनडीए को 147-167 सीटें मिलने का अनुमान है. महागठबंधन को 70 से 90, जनसुराज को 0 से 2 जबकि अन्य के खाते में 2 से 8 सीटें जानें का अनुमान है.पीपुल्स इनसाइट की ओर से बिहार में एग्जिट पोल में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनती दिखाई दे रही है. एग्जिट पोल में एनडीए को 133-148 सीट मिलती दिखाई पड़ रही है जबकि महागठबंधन के खाते में 87 से 102 सीट जा सकती हैं. जनसुराज पार्टी को भी पहली परीक्षा में 2 सीटों मिल सकती है जबकि अन्य के खाते में 3 से 6 सीट जाने का अनुमान है.पोल्स ऑफ पोल्स के एग्जिट पोल में दावा किया गया है कि एनडीए की 138 से 155 के बीच में सीटें आ सकती हैं, जबकि महागठबंधन को 82 से 98 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. इसके अलावा जनसुराज का खाता तो खुल सकता है, लेकिन उसे 2 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान नहीं लगाया गया है. अन्य के खाते में 3 से 7 सीटें जा सकती है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभाओं में जुटी भारी भीड़ और उससे पैदा हुआ माहौल अब एग्जिट पोल में भी झलकता नजर आ रहा है. केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर काम कर रही हैं, यह संदेश बड़ी संख्या में मतदाताओं तक पहुंचा है. सर्वे के मुताबिक नीतीश कुमार की लंबे समय से बनी प्रशासनिक छवि और उनके कार्यकाल में सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलावों को ग्रामीण मतदाताओं ने विशेष रूप से याद रखा है. वहीं, भाजपा ने अपने संगठनात्मक ढांचे और बूथ स्तर तक सक्रिय नेटवर्क के जरिए चुनाव प्रचार को मजबूत धार दी है.एग्जिट पोल के मुताबिक महागठबंधन ने जिस बेरोजगारी, महंगाई और किसान-संबंधी मुद्दों को चुनाव का केंद्र बनाने की कोशिश की थी, उसका असर वोट में बदलता नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल के मुताबिक युवाओं में एक हिस्से ने नई और छोटी पार्टियों की ओर रुख किया और कई क्षेत्रों में वोटों का बिखराव विपक्ष के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है. मुस्लिम-यादव समीकरण की पकड़ पहले जैसी मजबूत न दिखने की भी चर्चा जोरों पर है.एग्जिट पोल में जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके मुताबिक सीमांचल, मिथिलांचल और पटना-नालंदा का इलाका एनडीए के पक्ष में झुकता दिख रहा है. चंपारण और कोसी क्षेत्र में भी भाजपा-जेडीयू की पकड़ मजबूत बताई जा रही है. हालांकि भोजपुर, मगध और बेगूसराय जैसे क्षेत्रों में मुकाबला कड़ा रहा है, जहां दोनों पक्षों ने पूरा दम लगाया, लेकिन कुल मिलाकर, हवा का रुख एनडीए की ओर दिखाई देता है.इन सभी समीकरणों के बीच ये भी समझना जरूरी है कि ये एग्जिट पोल सिर्फ अनुमान होते हैं, नतीजे नहीं. असली फैसला मतगणना के दिन ही सामने आएगा. किस पार्टी को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया है ये तो 14 नवंबर को ही स्पष्ट होगा. हालांकि एग्जिट पोल ने एनडीए खेमे का मनोबल बढ़ा दिया है और राजनीतिक माहौल एक बार फिर चर्चा, रणनीति और उम्मीदों से भर गया है.

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