एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर कांग्रेस ने जताई आपत्ति,ममता बनर्जी ने भी उठाया सवाल

एक राष्ट्र एक चुनाव का मुद्दा खूब चर्चा में है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार (12 दिसंबर, 2024) को इसकी मंजूरी भी दे दी है, लेकिन विपक्ष लगातार इसपर आपत्ति जता रहा है. एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए सवाल किया है कि अगर केंद्र ने विश्वास मत खो दिया तो क्या सभी राज्यों की सरकार को भंग किया जाएगा?एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तीन बिंदु रखे हैं. कांग्रेस का कहना है कि ये लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे के खिलाफ है. कांग्रेस ने सवाल पूछा कि अगर केंद्र सरकार ने विश्वास मत खो दिया और समय से पहले चुनाव की नौबत आई तो क्या सभी राज्यों की सरकार को भंग किया जाएगा? कांग्रेस का कहना है कि खर्च का मुद्दा मामूली है.

लोकसभा चुनाव पर खर्च देश के पांच साल के बजट का 0.02 फीसदी से भी कम है. विधानसभा चुनाव का खर्च राज्य सरकार वहन करती है. यह भी इसी अनुपात में होना चाहिए. इतना खर्च लोगों के लिए बहुत मायने नहीं रखता. कांग्रेस ने तीसरी बात कही कि संविधान के मूल ढांचे में बदलाव होगा. एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू करने के लिए जो बदलाव होंगे उससे संविधान का मूल ढांचा बदल जाएगा.एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्र एक, चुनाव संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी है. इस विषय पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 17 जनवरी 2024 को जोरदार तरीके से व्यक्त किए थे. तब से उन्हें संशोधित करने के लिए कुछ नहीं हुआ है.इस मुद्दें को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि ये बिल असंवैधानिक और संघीय व्यवस्था के विरुद्ध पारित किया गया है. साथ ही ये भी कहा कि सरकार ने विपक्ष की ओर से उठाई गई हर जायज चिंता को नजरअंदाज किया है.