कांग्रेस ने RSS को बताया जातिगत जनगणना विरोधी,कहा-उनको अब सताने लगा है डर

 कांग्रेस ने RSS को बताया जातिगत जनगणना विरोधी,कहा-उनको अब सताने लगा है डर
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पूरे देश में जाति जनगणना को लेकर सियासी जंग देखी जा रही है, जहां एक तरफ विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जाति जनगणना को अपना प्रमुख मुद्दा बना लिया है. वहीं, दूसरी तरफ अब आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने भी जाति जनगणना पर अपना रुख बदल लिया है और जनगणना को हरी झंडी दिखा दी है.आरएसएस के जाति जनगणना को लेकर सामने आए बयान के बाद, कांग्रेस पार्टी के नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने बयान जारी किया. उन्होंने कहा, आरएसएस राहुल गांधी का दबाव महसूस कर रही है यह पूरा देश देख रहा है.गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा, राहुल गांधी ने जाति जनगणना को लेकर बात कही जिसको देश का व्यापक समर्थन मिल रहा है. उन्होंने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, आरएसएस जो अब तक जाति जनगणना को देश तोड़ने वाली जनगणना बताती थी, आरएसएस कहती थी जो जाति जनगणना की बात कर रहे हैं वो देश से दुश्मनी कर रहे हैं, उसी आरएसएस को जाति जनगणना के पक्ष में बयान देना पड़ा.गुरदीप सिंह सप्पल ने आगे कहा, समस्या यह है कि आरएसएस का यह बयान भी इतना उलझा हुआ है कि कल (मंगलवार) को कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जब आरएसएस से साफ पूछा कि क्या वो जाति जनगणना के पक्ष में है या विरोध में है? इस सवाल पर अब तक 24 घंटे होने को आए हैं लेकिन आरएसएस का जवाब सामने नहीं आया.उन्होंने आगे कहा, आरएसएस ने कल (मंगलवार) को बोला था कि वो कुछ जातियां, सब जातियां नहीं, कुछ जातियां, कुछ समुदाय जो पिछड़े हुए हैं उनकी गिनती के पक्ष में है. यह जाति जनगणना की बात नहीं हुई है, जाति जनगणना का मतलब है कि देश में सभी जातियों की गणना होनी चाहिए.“गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा, आरएसएस अभी डर-डर के धीरे-धीरे आगे बढ़ी, लेकिन अभी भी उनकी हिम्मत यह नहीं हुई कि वो यह बोले कि सभी जातियों की गणना की जाएगी. खानापूर्ति के लिए आरएसएस ने राहुल के दबाव में कुछ जातियों के वेलफेयर की बात की, लेकिन हमारे लिए जाती जनगणना सशक्तिकरण के लिए है. उन्होंने कहा, कांग्रेस का मानना है कि बहुत सारी जातियां देश की तरक्की में वहां तक नहीं पहुंची जहां तक उनका हक है।

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गुरदीप सिंह सप्पल ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, आरएसएस जाति जनगणना से इसीलिए घबराती है क्योंकि वो जाति व्यवस्था में यकीन रखती है. संघ का मुखपत्र पांचजन्य की संपादकीय में आया कि जाति जनगणना देश को जोड़ने की प्रक्रिया है. उसमें लिखा था कि जो जाति से दगा करता है वो मानो देश से दगा करता है.आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने जाति जनगणना को लेकर 3 सितंबर को बयान दिया था, उन्होंने कहा, हिंदू समाज में जाति और जाति संबंध एक संवेदनशील मामला है, ये हमारी राष्ट्रीय एकता को लेकर भी अहम मुद्दा है इसलिए इसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए. इसे चुनावी मुद्दे और राजनीति की तरह नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा,जाति जनगणना का इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए.बैठक में जाति जनगणना पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अहम बाते कहीं हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भागवत ने कहा था कि राजनेताओं का काम समाज को जाति में बांटकर फायदा उठाना है. इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं. हमें संघ की सोच के आधार पर सब को साथ लेकर चलना है. राजनीतिक दल स्वार्थ के चलते सामाजिक वर्गीकरण की मांग करते रहेंगे।

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