चंदे के मामले में फिर से टॉप पर पहुंचा बीजेपी,तृणमूल कांग्रेस की इस बार आधे घट से अधिक गई चांदे की रकम!

 चंदे के मामले में फिर से टॉप पर पहुंचा बीजेपी,तृणमूल कांग्रेस की इस बार आधे घट से अधिक गई चांदे की रकम!
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय समाजवादी पार्टी को इस बार मिले व्‍यक्तिगत चंदे का सबसे ज्‍यादा हिस्‍सा करीब 1,000 किमी दूर पश्चिम बंगाल से मिला है. हैरानी की बात ये है कि इस राशि का करीब 32 फीसदी हिस्‍सा एक ही परिवार की ओर से दान किया गया है. अखिलेश यादव के नेतृत्‍व वाली समाजवादी पार्टी से इस परिवार का लंबे समय से जुड़ाव रहा है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा की बड़ी जीत के बाद चंदे में यह उछाल और भी चर्चा का विषय बन गया है.वित्तीय वर्ष 2024-25 के चंदे की रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्टी को 26 दानदाताओं से कुल 93.47 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं, जो 2023-24 में प्राप्त 46.7 लाख रुपये से करीब दोगुना है. पिछले तीन सालों में पार्टी के चंदे में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. पार्टी को 2022-23 में 26.9 लाख रुपये मिले थे जो 2023-24 से बढ़कर 46.7 लाख रुपये और अब 2024-25 में 93.47 लाख रुपये तक पहुंच गए हैं. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा था और इसके बाद ही चंदे में यह उछाल दर्ज हुआ है.इस वर्ष पार्टी को मिले दान की कुल राशि का 32 फीसदी हिस्‍सा कोलकाता स्थित एक परिवार से आया है. अदिति सेन और उनके पति सुदीप रंजन सेन ने मिलकर पार्टी को 30 लाख रुपये दान किए. इसमें से 24.5 लाख रुपये अदिति सेन के नाम से और 5.5 लाख रुपये सुदीप रंजन सेन के नाम से दान किए गए.व्यक्तिगत दानदाताओं के अलावा समाजवादी पार्टी को तीन कंपनियों से भी 35 लाख रुपये प्राप्त हुए, शेष राशि व्यक्तियों द्वारा दान की गई.दिलचस्प बात यह है कि सुदीप रंजन सेन पहली बार एक प्रमुख दानदाता के रूप में सामने नहीं आए हैं. 2023-24 में समाजवादी पार्टी को 46.7 लाख रुपये मिले थे, जिसमें से 53 प्रतिशत (25 लाख रुपये) अकेले सेन से आए थे. इस वर्ष, उनके परिवार का योगदान बढ़कर 30 लाख रुपये हो गया है.जानिए कौन हैं सुदीप रंजन सेन?अपने गृह राज्य से बाहर किसी राजनीतिक दल को दान देना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन सुदीप रंजन सेन का समाजवादी पार्टी से जुड़ाव केवल वित्तीय योगदान तक ही सीमित नहीं है.

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अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के दौरान सेन को 2013 में उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. बाद में उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के रायगंज से समाजवादी पार्टी के टिकट पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दीपा दास मुंशी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा.चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि 2013-14 में अदिति सेन ने समाजवादी पार्टी को 1.5 करोड़ रुपये का दान दिया था, जो सेन परिवार और पार्टी के बीच लंबे समय से चले आ रहे वित्तीय संबंधों को दर्शाता है.सुदीप रंजन सेन सांस्कृतिक जगत में भी जाने-माने व्यक्ति हैं. वे एक प्रसिद्ध नजरुल गीति गायक हैं और कोलकाता में बसंती विद्या बिथी नामक एक संगीत संस्थान चलाते हैं, जहां रवींद्र संगीत, कथक, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन, गजल, नजरुल गीति और अन्य कला रूपों के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं. इस संस्थान की स्थापना उनके दादा मनोरंजन सेन ने की थी.इस बीच 2024-25 के दौरान राजनीतिक दलों के चंदे में व्यापक उतार-चढ़ाव दर्ज किया. भाजपा को 6,654.93 करोड़ रुपये मिले, जो पिछले वित्त वर्ष के 3,967 करोड़ रुपये से 68 प्रतिशत अधिक है. वहीं, कांग्रेस को भारी गिरावट दर्ज करते हुए 522.13 करोड़ रुपये मिले, जो 2023-24 के 1,129 करोड़ रुपये से करीब 43 प्रतिशत कम है.तृणमूल कांग्रेस का चंदा पिछले वर्ष के 618.8 करोड़ रुपये से घटकर 184.08 करोड़ रुपये रह गया, जबकि भारत राष्ट्र समिति को केवल 15.09 करोड़ रुपये मिले, जो पिछले वर्ष के 580 करोड़ रुपये से बेहद कम है. इसके विपरीत आम आदमी पार्टी ने चंदे में वृद्धि दर्ज की और पिछले वर्ष के 22.1 करोड़ रुपये के मुकाबले 39.2 करोड़ रुपये जुटाए. तेलुगु देशम पार्टी टीडीपी को चंदे के रूप में 85.2 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो पिछले वर्ष के 274 करोड़ रुपये से कम है, लेकिन पार्टी ने सदस्यता शुल्क और चंदे से 102 करोड़ रुपये की आय भी अर्जित की. बीजू जनता दल ने पिछले वित्तीय वर्ष के 246 करोड़ रुपये की तुलना में 60 करोड़ रुपये की आय दर्ज की।

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