वंदे मातरम् पर खूब गरजे पीएम मोदी,वंदे मातरम् का स्मरण करना हम सबका सौभाग्य है
लोकसभा में वंदे मातरम् पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के इस ऐतिहासिक अवसर के हम साक्षी बन रहे हैं. मैं सभी का आभार करता हूं कि हमने इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक सामूहिक चर्चा का रास्ता चुना है. जिस मंत्र, जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा, प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था उस वंदे मातरम् का स्मरण करना हम सबका सौभाग्य है.पीएम ने कहा कि वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था. जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था,

तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था. जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था. जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया. 150 वर्ष उस महान अध्याय और उस गौरव को पुनः स्थापित करने का अवसर हैं। मेरा मानना है कि देश और सदन, दोनों को इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए. यही वंदे मातरम् है, जिसने 1947 में देश को आजादी दिलाई.प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब मैं वंदे मातरम् 150 निमित्त चर्चा आरंभ करने के लिए खड़ा हुआ हूं तो यहां कोई पक्षप्रतिपक्ष नहीं है, क्योंकि हम सब जो यहां बैठे हैं ये हमारे लिए यह ऋण स्वीकार करने का अवसर है. वह ऋण जिसे निभाते हुए लाखों लोगों ने वंदे मातरम् के मंत्र के साथ आजादी का आंदोलन चलाया और उसी का परिणाम है कि आज हम सब यहां बैठे हैं. इसलिए हम सभी सांसदों के लिए वंदे मातरम् का यह ऋण स्वीकार करने का अवसर है.पीएम ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था. सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था. आजादी की लड़ाई, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी. मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी. अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया. सबसे पहले बंगाल तोड़ने का काम किया. अंग्रेज जानते थे कि बंगाल टूटा तो देश टूट जाएगा. अंग्रेजों ने बंगाल को प्रयोगशाला बनाया. अंग्रेज भारत को टुकड़ों में बांटना चाहते थे. बंगाल चट्टान की तरह खड़ा था. वंदे मातरम् के शब्दों से अंग्रेज डर गए. इस पर रोक लगा दी गई. वंदे मातरम् बोलने पर सजा दी जाती थी. प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरे. वंदे मातरम् कहते-कहते लोग फांसी पर चढ़ गए.वंदे मातरम् की शुरुआत बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में की थी. यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी. भारत पर भांति-भांति के दबाव डाल रही थी, भांति-भांति के जुल्म कर रही थी. उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा था, ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ. वंदे मातरम् अंग्रेजों को चुनौती के लिए बना.पीएम मोदी ने कहा कि पिछली सदी में वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात हुआ. इसे विवादों में घसीटा गया. मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया. जिन्ना ने 1937 में इसका विरोध किया. नेहरू ने मुस्लिम लीग की निंदा नहीं की. जिन्ना के विरोध के बाद नेहरू को कुर्सी का खतरा लगा. जिन्ना के विरोध के बाद नेहरू को डर लगा. वंदे मातरम् के कुछ शब्दों पर मुस्लिमो को ऐतराज था. कांग्रेस ने इसकी समीक्षा की बात की. कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के दबाव में फैसला लिया.
