ओवैसी ने किया किसके वोट बैंक को नुकसान?राजद के लिए बन गए मुसीबत

 ओवैसी ने किया किसके वोट बैंक को नुकसान?राजद के लिए बन गए मुसीबत
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे तमाम राजनीतिक समीकरणों को गलत साबित करते हुए NDA को प्रचंड जीत दिया. पूरे सूबे में एनडीए की प्रचंड लहर के कारण मजबूत विपक्षी दल को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. आरजेडी जैसी पारंपरिक रूप से मजबूत पार्टी 25 सीटों तक सिमट गई. वहीं, ऐसे माहौल में AIMIM ने सीमांचल में अपनी पांच सीटों को बचाकर बिहार की सियासत में एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है.सीमांचल इलाके की सीमा पश्चिम बंगाल के रास्ते नेपाल और बांग्लादेश से लगती है और यह इलाका राज्य की राजनीति में अक्सर ध्यान खींचता रहा है. 2025 में एआईएमआईएम ने न केवल पांच सीटों पर जीत दर्ज की है, बल्कि वह किशनगंज के ठाकुरगंज और कटिहार के बलरामपुर में भी बेहद कम वोटों के अंतर से हारी है।बिहार विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर से सीमांचल के लोगों के बीच पहुंचे.

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विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद ओवैसी लोगों का धन्यवाद करने के लिए एक बार फिर से सीमांचल में घूम रहे हैं. ओवैसी का सीमांचल दौरा ‘शुक्रिया यात्रा’ के रूप में है.यह सिर्फ जीत का जश्न नहीं, बल्कि समर्थकों को बताने की कोशिश है कि AIMIM उनकी लड़ाई लड़ने के लिए गंभीर है और उनके भरोसे पर खड़ा उतारना चाहता है. ओवैसी यह दिखाना चाहते हैं कि AIMIM सीमांचल में सिर्फ चुनावी खिलाड़ी नहीं है, बल्कि वहां की राजनीति में एक स्थायी शक्ति बन गई है।इस यात्रा के जरिये AIMIM और भी मजबूत लोक-संपर्क बनाने की तैयारी में है. विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद उन्हें लग रहा है कि पार्टी को और मजबूती प्रदान करने के लिए बूथ-स्तर पर संगठन को सक्रिय कर सकता है और आगे के चुनावों के लिए आधार तैयार कर सकता है. बिहार के सीमांचल के जिलों में किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिला शामिल है. बिहार का यह वह इलाका है जहाँ मुस्लिम आबादी 40% से लेकर कई जगह 70% तक है. 2015 के बाद से इस क्षेत्र में AIMIM ने लगातार बूथस्तर पर मजबूत पकड़ बनाई है.2020 में AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीती थीं. पार्टी का संगठन जमीनी स्तर पर मजबूत हो चुका है. इसका प्रमाण यह है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने 5 सीटों पर कामयाबी हासिल की. बिहार की राजनीति में सीमांचल की 5 सीटें AIMIM की राजनीतिक ताकत बनकर उभरीं है.असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के सीमांचल के इलाकों में मुसलमान की आर्थिक स्थिति, राजनीति में मुसलमान की हिस्सेदारी के अलावे सीमांचल की स्थानीय समस्या को फोकस किया. ओवैसी ने बिहार के 17.7% मुसलमान को फोकस करते हुए सीमांचल के इलाके में हाकमरी की बात उठाई.ओवैसी ने मुसलमान के बीच यह मैसेज दिया कि बिहार के वह राजनीतिक दल जो उनका वोट लेते हैं, सिर्फ उनको वोट से मतलब है सत्ता में भागीदारी से कोई मतलब नहीं. सीमांचल का पिछड़ापन, 18 साल में मुस्लिम बच्चों के पलायन को अपना मुद्दा बनाया. लोगों ने यही कारण है कि 2020 के बाद 2025 में भी उनकी बातों पर विश्वास किया. इन मुद्दों को AIMIM ने मुख्यधारा की राजनीति में बार-बार उठाया है, जो इस इलाके के मतदाताओं के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि पिछले कई चुनावों से उनकी पार्टी पर यह आरोप लगता था कि वह बीजेपी की B टीम है. राजद और कांग्रेस के नेता अपनी हार का ठीकरा एआईएमआईएम पर फोड़ देते थे. इसीलिए उन्होंने दिल पर पत्थर रखकर राजद के साथ गठबंधन करने की बात कही. लेकिन राजद के नेताओं को इस बात का घमंड था कि मुस्लिम वोटर उनके जागीर हैं।

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