ममता बनर्जी को नहीं रास आ रहा है SIR,चुनाव आयोग के खिलाफ उतरी TMC

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देश के 12 राज्यों में आज (04 नवंबर 2025) से एसआईआर लागू हो रहा है. इसको लेकर देश के कई राज्यों में विरोध भी देखने को मिल रहा है. पश्चिम बंगाल सीएम ममता एसआईआर का खुलकर विरोध कर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ बंगाल में बीजेपी ने चुनाव आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करने की बात कही है. बीजेपी ने चुनाव आयोग से पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में ममता सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों पर आपत्ति जताई है. इसके साथ ही एसआईआर के खिलाफ आज टीएमसी का प्रदर्शन होने वाला है.भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि नागरिकता और निवास स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर “पिछली तारीख के और जाली दस्तावेज़” उपयोग किए जा रहे हैं. बीजेपी ने चुनाव आयोग से 24 जून के बाद जारी जन्म प्रमाण पत्रों को स्वीकार न करने और अन्य दस्तावेजों की कड़ी जांच करने की अपील की है.

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पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, सांसद बिप्लब देब और बीजेपी आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार शाम चुनाव आयोग से मुलाकात की. इसमें तृणमूल कांग्रेस सरकार की तरफ से जारी किए गए जन्म, आवासीय, जाति और वन अधिकार प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एसआईआर के दौरान दस्तावेजों की जांच में उचित ध्यान दे.चुनाव आयोग की तरफ से जून महीने में बिहार में एसआईआर लागू किया गया था. इसमें मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए कई दस्तावेज पेश करने को कहा गया था. जिनमें जन्म, जाति, वन अधिकार प्रमाण पत्र और पासपोर्ट शामिल थे.बीजेपी ने चुनाव आयोग से क्या कहा?चुनाव आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. इसमें कहा गया कि सबसे पहले, हम यह स्वीकार करना चाहते हैं कि मतदाता सूचियों की पवित्रता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. मतदान न केवल एक संवैधानिक अधिकार है, बल्कि लोकतांत्रिक शासन की नींव भी है. हालांकि, हमारे संज्ञान में आया है कि पश्चिम बंगाल के वर्तमान समय में, मतदाता पंजीकरण के लिए उपयोग किए जा रहे दस्तावेजों को जारी करने और प्रमाणित करने में कुछ गंभीर अनियमितताएं देखी जा रही हैं.प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने में पुतारी तारीख के और जाली दस्तावेज जारी किए गए हैं. कई योजनाओं के कारण घुसपैठियों को खासी मदद मिली है.पार्टी ने कहा कि रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2020 से जारी किए गए ऐसे प्रमाणपत्रों की संख्या में तेजी आई है. इनमें से कई का इस्तेमाल नागरिकता और निवास का झूठा सबूत बनाने के लिए किया जा रहा है, जिससे एसआईआर के मूल उद्देश्य को ही नुकसान पहुंच रहा है,बीजेपी ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि 24 जून, जिस दिन चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया का आदेश दिया था. उसके बाद जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्रों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन यदि आवश्यक हो, तो बूथ-स्तरीय अधिकारियों द्वारा मामले-दर-मामला आधार पर उनका सत्यापन किया जाना चाहिए.ज्ञापन के अनुसार, केवल ग्रुप-ए अधिकारियों द्वारा जारी और हस्ताक्षरित स्थायी निवास प्रमाण पत्र ही स्वीकार किए जाने चाहिए. वन अधिकार प्रमाण पत्रों के मामले में, केवल वे ही स्वीकार किए जाने चाहिए जो 2 अप्रैल, जिस दिन राज्य सरकार ने नए वन सचिव की नियुक्ति की थी. उससे पहले जारी किए गए हों.बीजेपी ने दुआरे सरकार की शिविरों के जरिए बिना की जांच के जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं. इसमें बड़ी संख्या में मुश्लिम समुदाय के लोग हैं. जिनमें से कई पर अवैध घुसपैठिए होने का आरोप है. हाईकोर्ट इस मामले में पहले ही ओबीसी-ए श्रेणी को अवैध घोषित कर चुका है. मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है.

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