मोकामा में भूमिहारों का वर्चस्व,अनंत सिंह और सूरजभान की अदावत!
बिहार में चुनावी बयार ने अचानक अपना रुख मोड़ा और फिर से पुरानी यादें ताजा कर दीं। मोकामा में इस बार मतदान पहले चरण में यानी 6 नवंबर को है। लेकिन इससे पहले एक बार फिर से रक्त रंजित बिहार और बाहुबलियों की ताकत की गवाही दे रहा है। मोकामा में गुरुवार को दो राजनीतिक दलों के काफिले एक चौराहे पर आमने-सामने आ जाते हैं, टक्कर होती है, गोलियां चलती हैं और एक बाहुबली मारा जाता है। इस तरह से बिहार की हॉट सीट कहे जाने वाले मोकामा में अपराध, राजनीति और बाहुबलियों के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। मारे गए शख्स का नाम 75 वर्षीय दुलारचंद यादव था, जिनके संपर्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद से तो थे ही, दूसरे काफिले में शामिल बाहुबली और जदयू के मोकामा उम्मीदवार अनंत सिंह से भी उनकी नजदीकी रही है।मोकामा में गुरुवार को बिहार चुनावों में हिंसा की पहली गंभीर घटना तब शुरू हुई जब जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का काफिला, जिसमें दुलारचंद भी शामिल थे, अनंत सिंह के काफिले तारातर गांव के बसावन चक के पास आपस में टकरा गए।

उसके बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई और तड़ातड़ गोलियां चलने लगीं। अफरा-तफरी के बीच, दुलारचंद को पहले गोली मारी गई, फिर एक वाहन ने उन्हें कुचल दिया। इस घटना में लगभग एक दर्जन अन्य लोग घायल हो गए।चुनाव आयोग ने इस घटना पर बिहार के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें से एक दुलारचंद के परिवार द्वारा अनंत सिंह के खिलाफ और वहीं दूसरी अनंत सिंह के समर्थकों द्वारा जन सुराज कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई है।मोकामा में, जहां अपराध, राजनीति और जाति अक्सर एक-दूसरे से टकराते रहे हैं, यहां के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है। भूमिहारों के प्रभुत्व वाले मोकामा ने 1952 के बाद से शायद ही कभी कोई ऐसा विधायक चुना हो जो भूमिहार ना हो। मोकामा को बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाला कोई भी प्रतिनिधि नहीं मिला जिसकी वजह से मोकामा को ‘भूमिहारों की राजधानी’ का तमगा मिला। गैर-भूमिहार दुलारचंद की बात करें तो उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की सूची साल 1991 से शुरू होती है, जब उनका नाम कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह की हत्या में समाने आया था। उनके सह-आरोपी अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह और नीतीश कुमार शामिल थे। माना जा रहा है कि दुलारचंद और अनंत सिंह के बीच तनाव की वजह रही दुलारचंद की प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए उनके प्रचार और अनंत सिंह की आलोचना ने मामले को और बिगाड़ दिया।2010 तक, दुलारचंद पर 11 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, अपहरण, जबरन वसूली, जालसाजी और अवैध हथियार के रखने के आरोप शामिल थे। उन्होंने अनंत सिंह के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखे थे। दुलारचंद तब चर्चा में आए जब 1990 के दशक में लालू ने मोकामा में यादव नेताओं को दिए गए संरक्षण के कारण हुआ, ताकि भूमिहार वर्चस्व को चुनौती दी जा सके। बिहार में कई नेता उसी व्यवस्था में जड़ जमा चुके थे, लेकिन 2005 से अनंत सिंह ने मोकामा में नियंत्रण जमाया और भूमिहारों के स्वामित्व वाली पुरानी व्यवस्था फिर से स्थापित हो गई है।जन सुराज ने राजनीति में इस अपराध से लड़ने के वादे के इर्द-गिर्द अपना अभियान तैयार किया है। इसके उम्मीदवार 30 वर्षीय प्रियदर्शी एक अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) हैं, जिन्होंने शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, और मोकामा को बिहार के स्थायी “जंगल राज” का एक उदाहरण बताया है।बता दें कि 2015 में, अनंत सिंह को अपहरण और हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था, जिसके बाद 500 पुलिसकर्मियों और दंगा-रोधी वाहनों के साथ पुलिस की छापेमारी हुई थी। हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और खून से सने कपड़े कथित तौर पर बरामद किए गए थे। 2019 में, एक और पुलिस छापेमारी में एक एके-47 राइफल, ग्रेनेड और कारतूस बरामद हुए। मोकामा से 2020 के चुनाव में, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की, अनंत सिंह ने अपने हलफनामे में 38 मामलों का ज़िक्र किया, हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड में 1979 से अब तक 50 से ज़्यादा मामले दर्ज हैं।2022 में, उन्हें 2019 की बरामदगी के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया और 10 साल की सज़ा सुनाई गई, जिसके कारण उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। उनकी पत्नी नीलम देवी ने 2022 में राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। माना जाता है कि बाद में उन्होंने 2024 के शक्ति परीक्षण में नीतीश कुमार के पक्ष में क्रॉस-वोटिंग की। 2024 में, पटना उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए अनंत सिंह को यूएपीए मामले में बरी कर दिया – जिससे वह चुनावी मैदान में वापस आ गए।मोकामा से अनंत सिंह जहां इस बार जदयू के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं इस बीच, एक और बाहुबली की पत्नी वीणा देवी ने राजद से टिकट मिलने पर मोकामा के चुनावी जंग में शंखनाद किया और अनंत सिंह के खिलाफ मैदान में कूद पड़ीं। सूरजभान सिंह, जो खुद भी भूमिहार हैं और अनंत सिंह की ही तरह बाहुबली भी हैं।अनंत सिंह और सूरजभान की राजनीतिक लड़ाई दशकों से मोकामा की राजनीति को परिभाषित करती रही है। सूरजभान ने पहली बार 2000 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था, और अनंत सिंह के बड़े भाई, जो उस समय राजद के मंत्री थे, को मोकामा से करारी शिकस्त दी थी। मोकामा में दिलीप सिंह को ‘बड़े सरकार’ के नाम से जाना जाता है, तो अनंत सिंह को ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है।सूरजभान का आपराधिक रिकॉर्ड देखें तो उनके खिलाफ 26 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 1992 में हुई एक हत्या और 1998 में पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या जैसे चर्चित हत्याकांडों में वे अभियुक्त हैं, जिसमें उन्हें 2014 में पटना उच्च न्यायालय और 2024 में सर्वोच्च न्यायालय से बरी कर दिया गया था।अपराध से जुड़े इन मामलों के कारण सूरजभान के चुनाव लड़ने पर रोक लगी हुई है और इसी वजह से सूरजभान ने अपनी पत्नी वीणा देवी को अनंत सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में खड़ा किया है। वीणा देवी पूर्व सांसद हैं, जिन्होंने 2014 में मुंगेर लोकसभा सीट से जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह को हराया था।
