महिला मतदाताओं की भागीदारी किस पर पड़ेगी भारी,जानिए पूरी कहानी

 महिला मतदाताओं की भागीदारी किस पर पड़ेगी भारी,जानिए पूरी कहानी
Sharing Is Caring:

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, राजनीतिक दलों की नजरें इस बार महिलाओं के वोट बैंक पर पहले से कहीं अधिक टिकी हैं. राज्य में पिछले दो दशकों में महिला वोटरों की सक्रियता ने चुनावी नतीजों की दिशा बदली है. दिलचस्प बात यह है कि बिहार के हाल के पांच विधानसभा चुनावों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक संख्या में मतदान किया है. फिर भी, उनके प्रतिनिधित्व यानी टिकट और जीत के मामले में वे अब भी पीछे हैं. इस बार सवाल यही है क्या 2025 का चुनाव बिहार की महिलाओं का ‘निर्णायक चुनाव’ साबित होगा?महिला मतदाताओं की भागीदारी: बिहार में महिला मतदाताओं की भागीदारी लगातार बढ़ती रही है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखें तो 2005 से 2020 तक के चुनाव में लगातार महिला मतदाताओं ने बढ़ चढ़ का हिस्सा लिया है.

1000615789

हर चुनाव में महिला मतदाताओं ने चुनाव में अपना योगदान दिया है. मतदान में महिलाओं की यह निरंतर बढ़ोतरी दर्शाती है कि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र तक महिलाएं अब सूबे की राजनीतिक का केंद्र बन चुकी हैं.2020 के चुनाव में कुल मतदान 57.09% था, जिसमें महिलाओं का हिस्सा पुरुषों से लगभग 3% अधिक रहा. यह रुझान यह बताता है कि महिला वोट अब ‘साइलेंट’ नहीं, बल्कि ‘स्मार्ट और निर्णायक हो चुका है.नीतीश कुमार को ‘साइलेंट सपोर्ट’: बिहार में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी की शुरुआत का बड़ा श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है. उनके शासनकाल में लागू की गईं कई योजनाओं का सीधा लाभ बिहार की लड़कियों और महिलाओं को मिला. इन योजनाओं ने महिलाओं को स्थायी सामाजिक आधार तैयार किया.बिहार की महिलाएं नीतीश कुमार को ‘भरोसेमंद प्रशासन’ के प्रतीक के रूप में देखती हैं, भले ही वे महागठबंधन में हों या NDA में. 2010 से 2020 तक के चुनावों में महिलाओं का वोट नीतीश के लिए ‘साइलेंट बूस्टर’ साबित हुआ. 2010 में NDA की जबरदस्त जीत में यह वर्ग निर्णायक रहा था. यहां तक कि 2020 के चुनाव में जब नीतीश की लोकप्रियता पर सवाल उठ रहे थे, तब भी महिला वोटरों ने JDU को बैलेंस बनाए रखा. प्रो नवल किशोर चौधरी, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक2020 का प्रदर्शन: एक ओर जहां हर पार्टी महिलाओं के वोटरों को रिझाने के लिए योजनाओं की झड़ी लगा रही है, वहीं टिकट बंटवारे में उनकी भागीदारी बेहद सीमित है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 243 सीटों पर 1270 प्रत्याशी मैदान में थे, इनमें केवल 146 महिलाएं हैं, करीब 11.5%.इनमें से जीत दर्ज करने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ 26 थी, यानी कुल विधायकों का लगभग 10.7%.2025 के चुनाव में तेजस्वी यादव महिलाओं को लेकर कई योजना लेकर आए हैं. 2020 में जब उन्होंने ’10 लाख रोजगार’ का वादा किया था, तब युवा वर्ग के साथ-साथ बड़ी संख्या में महिला वोटर भी उनके साथ आई थीं. अब 2025 में वो महिलाओं और बेटियों को लेकर कई वादे कर रहे हैं. वे महिलाओं को विश्वास दिलाना चाह रहे हैं कि उनकी सरकार बनने पर वह महिलाओं खासकर बेटियों के लिए ऐसी स्कीम लेंगे जिससे बिहार की महिलाएं और बेटियां आत्मनिर्भर हो सके. तेजस्वी की रणनीति यह है कि नई पीढ़ी की महिलाएं अब केवल ‘सुरक्षा और सब्सिडी’ नहीं, बल्कि ‘समान अवसर और पहचान चाहती हैं.

Comments
Sharing Is Caring:

Related post