हम मुसलमान चांस से नहीं बल्कि इस देश में चॉइस से हैं,खूब गरजी सासंद इकरा हसन

 हम मुसलमान चांस से नहीं बल्कि इस देश में चॉइस से हैं,खूब गरजी सासंद इकरा हसन
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हैदराबाद के AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा में कहा, ‘यह वतन मेरा है, हम इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. हम भारत माता को एक देवी के रूप में संबोधित कर रहे हैं, तो हम इसमें धर्म को ला रहे हैं. संविधान में देश के प्रति निष्ठा की बात है, किसी देवी की पूजा की नहीं. हुकूमत इस पर जोर-जबर न करे, अगर जबरदस्ती करेंगे तो यह संविधान के खिलाफ होगा. क्या विपक्ष वंदे मातरम को वफादारी का सर्टिफिकेट बनाना चाहता है?’मुसलमानों से देशभक्ति का सर्टिफिकेट मत लीजिएओवैसी ने मुसलमान के वंदे मातरम न गाने की वजह समझाते हुए कहा, ‘हम अपनी मां की इबादत नहीं करते, हम कुरान की भी इबादत नहीं करते और इस्लाम में अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं. वतन मेरा है हम इसे छोड़कर नहीं जाएंगे. वफादारी का सर्टिफिकेट हमसे मत लीजिए.’जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से JKNC सांसद आगहा सैयद रूहुल्लाह ने सदन में सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार राष्ट्रवाद के हथियार से मुस्लिम पहचान को कंट्रोल कर रही है.

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वंदे मातरम थोपना और बुलडोजर कार्रवाई अलग घटनाएं नहीं, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक रणनीति है. सरकार बेरोजगारी और महंगाई पर से ध्यान हटाना चाहती है. ‘आगहा ने कहा कि मुसलमानों ने राष्ट्र की आजादी के लिए लड़ा. हम अब भी देश के अंदर की आजादी के लिए लड़ सकते हैं. असहमति को गद्दारी न बनाएं.उत्तर प्रदेश के कैराना की सासंद इकरा हसन ने सदन में वंदे मातरम का मतलब समझाते हुए कहा, ‘हम मुसलमान भारतीय हैं, चांस से नहीं बल्कि चॉइस से। वंदे मातरम को थोपना या सांप्रदायिक रंग देना गीत के मूल भाव के खिलाफ है.’ इकरा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने ‘राजधर्म’ का पालन करते हुए यह सुनिश्चित किया था कि वंदे मातरम किसी पर थोपा न जाए, बल्कि लोग इसे सम्मानपूर्वक गाएं.बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद ने वंदे मातरम पर चर्चा में कहा कि देश ने कभी हमें अपना नहीं माना. उन्होंने अपनी मातृभूमि जम्मू कश्मीर को सलाम किया. उन्होंने कहा, ‘मैं सलाम करता हूं अपनी मातृभूमि को जिसके लिए मोदी और नेहरु ने बड़े बड़े वादे किए लेकिन पूरा नहीं किया. कश्मीर को भारत ने ताज तो माना पर कभी इज्जत नहीं दी. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र की सरकार ने मेरी मातृभूमि से सब कुछ छीन लिया. यहां मुसलमानों को गैर मुल्क का कहा जाता है.तो वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी के बयान ने तो घमासान मचा दिया. उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को मर जाना स्वीकार है, लेकिन शिर्क नहीं. वतन से मोहब्बत अलग, उसकी पूजा अलग है. हर एक मुसलमान देश से मोहब्बत करता है, लेकिन इबादत सिर्फ अल्लाह की करेगा. हम जिएंगे तो इस्लाम पर, मरेंगे तो इस्लाम पर.’मौलाना साजिद रशीदी ने साफ कहा कि राष्ट्रगीत से परहेज ‘देश’ से नहीं, बल्कि ‘देश को भगवान बनाने’ से है. वहीं सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा, ‘गीत में हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं.’

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