नवरात्रि के पांचवें दिन आज होगी मां स्कंदमाता की पूजा,पढ़ें मंत्र,आरती और कथा

 नवरात्रि के पांचवें दिन आज होगी मां स्कंदमाता की पूजा,पढ़ें मंत्र,आरती और कथा
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चैत्र नवरात्रि का आज पांचवा दिन है और नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. आज पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और आयुष्मान योग बना रहेगा, जिससे माता की पूजा और भी फलदायी रहेगी. मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में स्कंदमाता को सबसे ज्यादा ममतामयी माना गया है. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से बुद्धि का विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है. स्कंद कुमार यानी कार्तिकेय भगवान की माता होने के कारण पार्वतजी को स्कंद माता कहा गया. मान्यता है कि निसंतान दंपत्ति सच्चे मन से माता के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करें और व्रत करें तो संतान सुख की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं नवरात्रि 2025 के पांचवे दिन की जाने वाली माता स्कंदमाता का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र…

स्कंदमाता के मंत्र:

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

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स्कंदमाता की आरती:

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥

स्कंदमाता की कथा:

प्राचीन कथा के अनुसार तारकासुर नाम एक राक्षस ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कर रहा था। उस कठोर तप से ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर उनके सामने आए। ब्रह्मा जी से वरदान मांगते हुए तारकासुर ने अमर करने के लिए कहा। तब ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है। निराश होकर उसने ब्रह्मा जी कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही उसकी मृत्यु हो।तारकासुर की ऐसी धारणा थी कि भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे। इसलिए उसकी कभी मृत्यु नहीं होगी। फिर उसने लोगों पर हिंसा करनी शुरू कर दी। तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और तारकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब शिव ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं।

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