125 दिन रोजगार देने की सरकार की होगी गारंटी,आज लोकसभा के एजेंडे में रहेगा मनरेगा बिल
विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने महात्मा गााधी राष्ट्रीय रोज्गार गारंटी योजना की जगह लाए गए नए “विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)” बिल को चर्चा और पारित कराने के लिए लोक सभा के एजेंडा में आज शामिल कर दिया है. मंगलवार को इस बिल के इंट्रोडक्शन के दौरान हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों ने इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी. विपक्षी सांसदों के हंगामे और विरोध के बीच पेश इस बिल में मनरेगा कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाया गया है, जिसे विपक्षी दलों ने महत्मा गांधी का अपमान करार दिया है. हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने लोक सभा में कहा था, ‘महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं. उनका हम पूरा सम्मान करते हैं. बापू ही कहते थे – राम राज्य! राम हमारे रग-रग में बसे हैं. पता नहीं जब जी राम जी का नाम आगे तो ये भड़क गए. महात्मा गांधी स्वयं “राम राज्य” की स्थापना की बात करते थे. ये बिल महात्मा गांधी की भावनाओं सोच के अनुरूप है, राम राज्य की स्थापना के लिए है.

महात्मा गांधी का ये संकल्प था कि जो सबसे नीचे हैं उनका कल्याण सबसे पहले किया जाए. महात्मा गांधी के विचारों के आधार पर ही मोदी सरकार ने गरीब कल्याण की योजनाएं चला रही है. हमारा संकल्प है गरीब का कल्याण और नए बिल में हमने यही संकल्प पूरा करने का प्रयत्न किया है. महात्मा गांधी कहते थे – एक विकसित गांव, स्वावलम्बी गांव…इसका प्रावधान नए बिल में किया गया है.’ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक नए बिल में 100 दिन की गारंटी के बजाय 125 दिन रोजगार की गारंटी का प्रस्ताव है, और इसके लिए 1.51 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. ग्रामीण विकास मंत्री ने लोक सभा में सरकारी आकड़े पेश करते हुए कहा था कि UPA सरकार ने मनरेगा पर 2006 से 2014 के बीच 2 लाख 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे, लेकिन मोदी सरकार ने 2014 से अब तक 8 लाख 53 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा गरीबों के कल्याण पर खर्च किए हैं और इस योजना को और मजबूत करने की कोशिश की है. लेकिन बिल के विरोध में अधिकतर विपक्षी दल लामबंद हो गए हैं, और आज फिर संसद में विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं.कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी का आरोप है कि नए बिल से ग्रामीण इलाकों में मजदूरों का रोजगार मांगने का अधिकार कमजोर होगा. प्रियंका गांधी का आरोप है, ‘मनरेगा कानून की जगह नया बिल जो लाया गया है इससे ग्रामीण वर्कर को रोजगार की गारंटी का जो कानून अधिकार दिया गया है वह कमजोर होगा. यह बिल संविधान की मूल भावना के विपरीत है. इससे पंचायती राज व्यवस्था कमजोर होगी, ग्राम सभाओं का अधिकार भी कमजोर होगा. अब तक मनरेगा पर कुल खर्च का 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती थी, लेकिन अब देश के अधिकतर राज्यों में केंद्र सरकार सिर्फ 60 फीसदी खर्च का वहन करेगी. केंद्र का अनुदान घटाया गया है.’तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी समेत कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद लोकसभा सांसद सौगात रे ने NDTV से कहा, ‘सरकार मनरेगा कानून को कमजोर करने के लिए नया बिल लाई है. मौजूदा मनरेगा कानून में रोजगार मांगने का कानून अधिकार वर्कर्स को दिया गया था. लेकिन अब सरकार ने 125 दिन की सीमा तय करके इसे सप्लाई ड्रिवन कर दिया है. कानून में राज्यों पर 40 फीसदी खर्च का बोझ डालने का प्रस्ताव है, इससे मनरेगा देश भर में कमजोर होगा.’वाम दल भी इस बिल के खिलाफ हैं. सीपीएम के राज्य सभा सांसद जॉन ब्रिटास ने NDTV से कहा, ‘यह बिल मनरेगा को खत्म करने की साजिश है, यह मनरेगा का Death Knell है. इस बिल के जरिए सरकार राज्यों पर 50,000 करोड रुपए का अतिरिक्त बोझ डालना चाहती है. मुझे लगता है MGNREFA main workers को जो अधिकार दिया गया था पुराने कानून में रोजगार को लेकर वह काफी कमजोर हो जाएगा. हम इस बिल का मजबूती से विरोध करेंगे.’
