बिना परीक्षा के शिक्षकों को मिले राज्यकर्मी का दर्जा,कांग्रेस-वाम दलों ने नीतीश पर बनाया दबाव

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बिहार में नई भर्ती नियमावली के खिलाफ आंदोलन कर रहे शिक्षकों के मुद्दे पर महागठबंधन सरकार में घमासान मच है। कांग्रेस के साथ ही वाम दल शिक्षकों के समर्थन में आ गए हैं। लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने बुधवार को साझा बयान जारी कर कहा कि वे नीतीश सरकार की नई शिक्षक नियमावली का समर्थन नहीं करते हैं। नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा मिलना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी यह मुद्दा उठाते हुए सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा था। Congress 1वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर पटना हाइकोर्ट में जाति आधारित गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण मामले पर सुनवाई जारी है। गुरुवार को भी इस मामले पर सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ इसपर सुनवाई कर रही है। महाधिवक्ता पीके शाही और अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बुधवार को राज्य सरकार का पक्ष रखा। नीतीश सरकार | हाईकोर्ट को बताया कि जातिगत गणना राज्य के अधिकार आता है। उद्देश्य प्राप्ति के लिए डाटा इकट्ठा करना अनिवार्य है। बगैर डाटा इकट्ठा किए आम नागरिकों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना संभव नहीं है। वही बता दें कि वकील ने दलील दी कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो गया है। इस सर्वेक्षण से किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि जातियों को लेकर बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक हैं।derailment nitish kumar condoles deaths announces rs 2 lakh each नामांकन कर नौकरी के लिए लोग स्वेच्छा से अपनी जाति की जानकारी देते रहे हैं। समय के अभाव में महाधिवक्ता अपनी बहस पूरी नहीं कर पाए। गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी। उसके बाद महाधिवक्ता की ओर से दी गई दलीलों का जवाब आवेदक के वकील देंगे। अंत में हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

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