शीतकालीन सत्र के पहले दिन सपा नेताओं को काले कपड़े पहनकर आना पड़ गया भारी,बोले डिप्टी सीएम-देश को किया गया है शर्मिंदा

 शीतकालीन सत्र के पहले दिन सपा नेताओं को काले कपड़े पहनकर आना पड़ गया भारी,बोले डिप्टी सीएम-देश को किया गया है शर्मिंदा
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उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज पहला दिन था. इस दौरान जहां भाजपा विधायक आशुतोष टंडन और नौ अन्य विधायकों के निधन पर दुख व्यक्त किया गया. वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक और नेताओं को खास रंग के कपड़े पहने देखा गया. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधायक काले रंग के कुर्ते पहने नजर आए. विपक्ष के विधायकों को काले रंग का वस्त्र पहने देख डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने नाराजगी दर्ज की है.विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी के विधायकों को काले रंग के कपड़े में देख डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इसे शर्मनाक बताया है।

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उनका कहना है कि सदन में जहां एक ओर भाजपा विधायक आशुतोष टंडन और नौ अन्य विधायकों के निधन पर दुख व्यक्त किया गया, वहीं सपा विधायकों का इस तरह से काले रंग के कपड़े पहनकर आना देश को शर्मिंदा करता है.आज सदन में शोक प्रस्ताव के दौरान सपा के काले मन के संक्रमित डीएनए और कुकृत्य को पूरे देश ने देखा,सदन में पहली बार किसी दल के नेता शोक प्रस्ताव में काले कपड़ों में प्रदर्शन किया है ,शोक प्रस्ताव के दौरान काले वस्त्र पहन कर प्रदर्शन करना संसदीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुःखद घटना…डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा ‘आज सदन में शोक प्रस्ताव के दौरान सपा के काले मन के संक्रमित डीएनए और कुकृत्य को पूरे देश ने देखा,सदन में पहली बार किसी दल के नेता शोक प्रस्ताव में काले कपड़ों में प्रदर्शन किया है, शोक प्रस्ताव के दौरान काले वस्त्र पहन कर प्रदर्शन करना संसदीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुःखद घटना है.’उन्होंने आगे लिखा कि ‘समाजवादी पार्टी के कुकृत्यों के चलते आज पूरा देश शर्मसार हुआ है, शोक प्रस्ताव के दौरान इस तरह की अतिनिंदनीय घटना आज तक नहीं हुई, सदन में सपा ने आज जो कुकृत्य किया है इसके लिए जनता माफ नहीं करेगी, प्रदेश के 24 करोड़ लोगों की तरफ से हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं.’फिलहाल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायकों के काले कपड़े पहनकर पहुंचने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि ‘ये सरकार और नई नियमावली का विरोध है. लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं. जनता ने हमें चुनकर भेजा है. सरकार नहीं चाहती कि हम सरकार के सामने जनता के सवाल उठाएं इसीलिए नए नियम ला रहे हैं. हम लोकतंत्र की मर्यादा में रहकर अपने सवाल उठाएंगे।

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