अकेल पड़ गए राहुल गांधी,SIR और EVM पर सहयोगी दलों का नहीं मिला समर्थन!
लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हो रही बहस के दौरान EVM को लेकर विपक्ष की एकजुटता में दरार साफ नजर आई. NCP सांसद सुप्रिया सुले ने EVM और VVPAT पर सवाल उठाने से साफ इनकार करते हुए कांग्रेस को बड़ा झटका दिया.सुप्रिया सुले ने सदन में कहा, ‘मैं इसी मशीन से चुनकर आई हूं, इसलिए मैं EVM या VVPAT पर सवाल नहीं उठाऊंगी.’ उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस लगातार EVM में गड़बड़ी और वोट चोरी के आरोप लगा रही है.कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही BJP पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं. राहुल गांधी का कहना है, ‘Vote chori हुई है, BJP ने EVMs को हैक कर चुनाव जीता.’केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि ईवीएम को देश में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शुरू किया था, और अब उनके बेटे और उनकी पार्टी ही इसका विरोध कर रहे हैं.

शाह ने यह भी बताया कि ईवीएम के जरिए हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.उन्होंने कहा,यह 2004 की बात है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे. दस साल बाद, जब हमने 2014 में जीत हासिल की, तो कांग्रेस ने संदेह जताया।एक तरफ जहां कांग्रेस EVM और VVPAT को लेकर हमलावर है, वहीं INDIA गठबंधन के सहयोगी दल इस मुद्दे पर उससे दूरी बनाते नजर आ रहे हैं. सुप्रिया सुले और उमर अब्दुल्ला के बयानों से साफ है कि EVM मुद्दे पर विपक्ष की एक राय नहीं है।इंडिया अलायंस की एकता एक बार फिर सवालों के घेरे में है. संसद से लेकर सड़क तक मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी कांग्रेस को उस वक्त करारा झटका लगा, जब उसके अपने ही सहयोगी दल ने उसके सबसे बड़े मौजूदा एजेंडे से किनारा कर लिया. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ आंदोलन को लेकर जो बयान दिया है, उसने न केवल राहुल गांधी की मुहिम की हवा निकाल दी है, बल्कि बीजेपी को बैठे-बिठाए विपक्ष पर हमले का सबसे बड़ा हथियार दे दिया है.उमर अब्दुल्ला ने साफ कर दिया है कि ‘वोट चोरी’ का मुद्दा कांग्रेस का अपना हो सकता है, लेकिन ‘इंडिया गठबंधन’ का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उनके इस बयान को राजनीतिक गलियारों में राहुल गांधी के लिए ‘बड़ी फजीहत’ और ‘आईना दिखाने’ के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी ने इस मौके को लपकते हुए कहा है कि अब सहयोगी दल भी समझ गए हैं कि कांग्रेस के ‘झूठे नैरेटिव’ का बोझ उठाना उनके बस की बात नहीं है.उमर अब्दुल्ला का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए थे, जहाँ उनकी पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है. ऐसे में अगर वे चुनावी प्रक्रिया या ‘वोट चोरी’ के सुर में सुर मिलाते हैं, तो वे परोक्ष रूप से अपने ही जनादेश पर सवाल खड़े करेंगे. उमर अब्दुल्ला के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्रीय क्षत्रप कांग्रेस के हर विमर्श को आंख मूंदकर मानने के लिए तैयार नहीं हैं।राहुल गांधी की वोट चोरी के बम की डिफ्यूजन एक प्रकार से इंडिया अलायंस के नेता ही कर रहे हैं. ना सपा मानने को तैयार है, ना तृणमूल कांग्रेस, ना नेशनल कॉन्फ्रेंस. यह दिखाता है कि यह वोट चोरी नहीं, ये दरअसल ट्रूथ चोरी (सच की चोरी) का मामला है. बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने कहा कि उमर अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को एक बार फिर बेनकाब कर दिया है. उन्होंने कहा, “उमर अब्दुल्ला का यह कहना कि वोट चोरी कांग्रेस का एजेंडा है, यह बताता है कि राहुल गांधी अकेले पड़ गए हैं।
