रोमियो-जूलियट कानून लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका हुआ दाखिल
 
            
      देश में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। दरअसल, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।इस याचिका में तर्क दिया गया है कि अगर कोई नाबालिग लड़का-लड़की आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं और ऐसी परिस्थिति में अगर लड़की गर्भवती हो जाती है,  तो ऐसे में लड़के को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। जबकि इस मामले में लड़कों को हर बार दोषी ठहराना गलत होता है। दरअसल आपको बताते चलें कि साल 2007 के बाद से, कई देशों ने रोमियो-जूलियट कानून को अपनाया है,
तो ऐसे में लड़के को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। जबकि इस मामले में लड़कों को हर बार दोषी ठहराना गलत होता है। दरअसल आपको बताते चलें कि साल 2007 के बाद से, कई देशों ने रोमियो-जूलियट कानून को अपनाया है, जो लड़कों को गिरफ्तारी से बचाता है। सरल शब्दों में कहें तो, यदि किसी लड़के की आयु नाबालिग लड़की से चार साल से अधिक नहीं है, तो वह आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों में दोषी नहीं माना जाएगा।
 जो लड़कों को गिरफ्तारी से बचाता है। सरल शब्दों में कहें तो, यदि किसी लड़के की आयु नाबालिग लड़की से चार साल से अधिक नहीं है, तो वह आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों में दोषी नहीं माना जाएगा।

 
       
                      
                     