मुस्लिम वोट बैंक पर है नीतीश की नजर,JDU के लिए मदरसा बोर्ड ने शुरू की फील्डिंग?

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मोर्चों पर सक्रिय हैं. वक्फ संशोधन विधेयक के कारण मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है. बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17% है और तीन दर्जन से अधिक सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 29 जून को वक्फ कानून के खिलाफ गांधी मैदान में मुस्लिम संगठनों ने बड़ी रैली की थी, जिसमें महागठबंधन के नेता शामिल हुए थे.अब बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी वर्ष पर जदयू नेता और मदरसा बोर्ड अध्यक्ष सलीम परवेज नीतीश कुमार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हैं. 21 अगस्त को पटना के बापू सभागार, ज्ञान भवन और श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल को कार्यक्रम के लिए बुक कर लिया गया है. इस मौके पर पूरे बिहार से हजारों मुस्लिम स्कॉलर और शिक्षक जुटाए जाएंगे।

सलीम परवेज ने बताया कि शताब्दी वर्ष का कार्यक्रम 2022-23 में ही होना था लेकिन पहले कोरोना और फिर बोर्ड भंग होने के कारण यह टल गया. अब जब मुख्यमंत्री ने उन्हें मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है तो लंबित कार्य को पूरा करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि पटना में 20 हजार के करीब लोगों को लाने की तैयारी है. खान-पान की भी पूरी व्यवस्था की जाएगी।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बुलाने की योजना है. साथ ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी आमंत्रित किया जाएगा. बिहार सरकार के मंत्री, अन्य राज्यों के स्कॉलर और मदरसा बोर्ड अध्यक्ष भी इस आयोजन में शामिल होंगे.29 जून को गांधी मैदान में हुए वक्फ विरोधी प्रदर्शन को लेकर जब सवाल पूछा गया तो सलीम परवेज ने कहा कि वह कार्यक्रम राजद की ओर से आयोजित था. उन्होंने इमारत-ए-शरिया की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी कोई साख नहीं बची है. उन्होंने कहा कि यह मदरसा शिक्षा बोर्ड का शताब्दी वर्ष है, जिसमें वे अपने “वज़ीरे-आज़म” को बुलाकर अपनी ताकत दिखाएंगे।जब पूछा गया कि क्या यह कार्यक्रम नाराज मुसलमानों को मनाने की कोशिश है? तो सलीम परवेज ने कहा कि वे कभी परेशान नहीं हुए क्योंकि नीतीश कुमार ने 20 सालों में इतना काम किया है जितना 75 साल में नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि पहले मदरसा शिक्षकों की तनख्वाह 1500-3000 रुपये थी, जो अब 70,000 रुपये तक पहुंच गई है. मुस्लिम समाज, विशेषकर वंचित वर्ग, नीतीश कुमार से संतुष्ट है और समय आने पर एकजुट रहेगा।बिहार में लगभग 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर जीत-हार तय करते हैं. सीमांचल जैसे क्षेत्रों में तो कई सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है. जातीय गणना के अनुसार 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20% से अधिक है. इनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम वोटर 40% के करीब हैं.2020 विधानसभा चुनाव में जदयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी नहीं जीत सका. 2024 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट मिला, लेकिन वह भी हार गए. ऐसे में यह आयोजन मुस्लिमों की नाराजगी दूर कर उन्हें साधने की एक बड़ी रणनीति माना जा रहा है. हालांकि आयोजन मदरसा बोर्ड की ओर से है, लेकिन सरकार की भूमिका इसमें अहम होगी।