नवरात्रि के आखिरी दिन आज होगी मां सिद्धिदात्री की पूजा,जानिए मंत्र,आरती और कथा

शारदीय नवरात्रि के आठ दिन पूरे हो चुके हैं और अब महानवमी पर मां शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि माता के नौवें स्वरूप की पूजा- आराधना के साथ संपन्न हो जाएगा। नवरात्रि के आज नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना और आराधना विधि-विधान के साथ की जाती है। नवरात्रि पर्व की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि की इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी तिथि पर तो कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ मां की आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से धन, बल, यश के साथ सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और मंत्र और आरती।
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि और कन्या पूजन:
वैदिक पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि 22 अक्तूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगी जिसका समापन 23 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर होगी। उदय तिथि की आधार पर 23 अक्तूबर को महानवमी मनाई जाएगी।
महानवमी पूजा-विधि:
महानवमी की तिथि नवरात्रि का आखिरी तिथि होती है। इस तिथि पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना और पाठ करने का महत्व होता है। महानवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर इसके बाद पूजा स्थल पर देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा को स्थापित करें। अगर आपके पास देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा नहीं तो देवी दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करके पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और नवग्रह को फूल अर्पित करें। इसके बाद देवी को धूप, दीप, फल, फूल, भोग और नवैद्य अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ और मां दुर्गा और सिद्धिदात्री से जुड़े मंत्रों का पाठ करें। अंत में मां की आरती करें और कन्याओं का पूजन करते हुए उपहार देकर विदा करें।
मां सिद्धिदात्री पूजा मंत्र:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां सिद्धिदात्री की आरती:
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जब भी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
मां सिद्धिदात्री व्रत कथा:
सनातन ग्रंथों में यह बताया गया है कि जब ब्रह्मांड में कुछ भी मौजूद नहीं था। हर तरफ सिर्फ अंधेरा था। उसी क्षण ब्रह्माण्ड में प्रकाश की एक किरण प्रकट हुई। प्रकाश की यह किरण तेजी से फैलने लगी। इस पुंज से एक देवी प्रकट हुईं। इसके बाद प्रकाश किरण का विस्तार रुक गया। प्रकाश किरण से प्रकट हुई देवी मां सिद्धिदात्री थीं। मां सिद्धिदात्री ने अपने तेज से त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश को प्रकट किया। तब माता सिद्धिदात्री ने तीनों देवताओं को सृष्टि का संचालन करने का आदेश दिया। तब त्रिदेवों ने मां सिद्धिदात्री की कठिन तपस्या की। कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर, माँ ने त्रिदेवों को शक्ति और सिद्धि प्रदान की।