नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा,जानें पूजा विधि,मंत्र और कथा

 नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा,जानें पूजा विधि,मंत्र और कथा
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मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 23 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में माता रानी के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। जिसमें से पहले दिन दुर्गा मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं। वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी स्वरूप को पूजा जाता जाता है। इस दिन मां ब्रह्माचारिणी की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ मुहूर्त पूजा विधि… 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 23 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में माता रानी के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। जिसमें से पहले दिन दुर्गा मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं। वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी स्वरूप को पूजा जाता जाता है। इस दिन मां ब्रह्माचारिणी की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ मुहूर्त पूजा विधि… 

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान कर लें। 
  • पूजा के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं इसके बाद आसन पर बैठकर मां की पूजा करें। 
  • माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं। 
  • माता को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं और ऊं ऐं नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। 
  • साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। 
  • इसके उपरांत देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें।
  •  कैसा है मां ब्रह्माचारिणी स्वरूप?
    मां ब्रह्माचारिणी को ज्ञान और तप की देवी हैं। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली। इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है। मान्यता है कि जो भी जातक सच्चे मन से मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करते हैं, उन्हें धैर्य के साथ और ज्ञान की प्राप्ति होती है। 
  • मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
  • ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
  • या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा:

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान शंकर सिर्फ अपनी तपस्या में ही लीन रहते थे। उधर, देवी भगवान से विवाह करना चाहती थी। किंतु शंकर जी ध्यानमग्न ही रहा करते थे। तब एक दिन माता पार्वती कामदेव से शिवजी पर कामवासना का तीर छोड़ने को कहती हैं। आज्ञानुसार, कामदेव ने भगवान शिव पर तीर भी छोड़ दिया। फलस्वरूप, भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान कामदेव पर क्रोधित हो गए। क्रोधित होकर शिवजी ने अग्नि का रूप ले लिया। भगवान स्वंय के साथ कामदेव को भी जला दिया। यह देख नारद जी ने देवी पार्वती को सलाह दी कि उन्हें घोर तपस्या करना चाहिए। तब देवी पार्वती पहाड़ पर जाकर कई हजार सालों तक घनघोर तप करती रहीं। देवी तप के दौरान पत्ते आदि खाकर धूप, बारिश और शीत में भी यूं ही तप करती रहीं। देवी की कठोर तपस्या से भगवान शिव आकर्षित हुए। अंततः शिवजी ने उन्हें विवाह का वचन भी दिया।

मां ब्रह्मचारिणी माता की आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

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