महबूबा मुफ़्ती और सीएम अब्दुल्ला हुए आमने-सामने,जान लीजिए क्या है वजह?

महबूबा मुफ़्ती ने तुलबुल नौवहन परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना की है. विशेषज्ञों ने भी इस बात पर चिंता जताई है कि वहीं सीएम उमर ने इसके फिर से शुरू होने के लेकर भारत के दीर्घकालिक हितों को दोहराया है. उन्होंने बताया है कि कैसे इसके कार्यान्वयन से पूरे केंद्र शासित प्रदेश को सामाजिक-आर्थिक लाभ कैसे मिलेगा।तुलबुल परियोजना को वुलर बैराज के नाम से भी जाना जाता है. एक नौवहन लॉक-कम-कंट्रोल संरचना है जो जम्मू-कश्मीर में देश की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील, वुलर झील के आउटलेट पर स्थित है. इसे सर्दियों के महीनों (अक्टूबर-फरवरी) के दौरान झेलम नदी पर नौवहन की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया था. ये सिंधु जल संधि(आईडब्ल्यूटी) का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने इसे रोक दिया गया था।

हालांकि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद आईडब्ल्यूटी को निलंबित कर दिया गया है, इसलिए 1987 में पाकिस्तान की ओर से परियोजना को रोके जाने के बाद से ही इसके विकास पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इसका क्रियान्वयन जम्मू-कश्मीर के लोगों के लाभ के लिए सबसे तात्कालिक कदम हो सकता है।मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ फेलो उत्तम सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत लंबे समय से रुकी हुई तुलबुल नौवहन परियोजना पर काम शुरू करे. उत्तम सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी लंबित तुलबुल जलमार्ग परियोजना पर काम शुरू करे. उन्होंने अफसोस जताया कि पिछले 40 सालों से कश्मीर के लोग इस परियोजना के जरिए विकास की उम्मीद लगाए बैठे हैं. इसके बावजूद भी इसे कूटनीतिक कारणों से इसे रोक दिया गया है, जबकि यह परियोजना सिंधु जल संधि के दायरे में आती है और इसे लागू किया जा सकता है।