महिला आरक्षण बिल का विरोधी रही है लालू यादव की पार्टी,आरजेडी सांसद ने फाड़ दिया था महिला आरक्षण का बिल,7 वीं बार फिर होगा पेश

 महिला आरक्षण बिल का विरोधी रही है लालू यादव की पार्टी,आरजेडी सांसद ने फाड़ दिया था महिला आरक्षण का बिल,7 वीं बार फिर होगा पेश
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संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने अहम फैसला लिया है. सरकार ने 50 फीसदी आबादी को सरप्राइज देते हुए सत्र में महिला आरक्षण बिल लाने का निर्णय लिया है. बिल को सोमवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई. महिला आरक्षण बिल अब तक 6 बार संसद में पेश किया गया है. पहली बार 1996 में देवेगौड़ा सरकार ने विधेयक पेश किया था. वाजपेयी सरकार 4 बार ये बिल लेकर आई. 2008 में UPA सरकार ने महिला आरक्षण बिल पेश किया. 2010 में बिल राज्यसभा से पास हो गया, लेकिन लोकसभा में अटक गया.हालांकि इस बार इसके आसानी से पास होने की उम्मीद है, क्योंकि कांग्रेस सहित तमाम बड़े दल समर्थन कर रहे हैं. TMC, आम आदमी पार्टी, DMK और लेफ्ट पार्टियां बिल के सपोर्ट में हैं. पहले JDU इसका विरोध करती रही है, लेकिन इसबार वो भी समर्थन में आ गई है।

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समाजवादी पार्टी महिला आरक्षण के विरोध में रही है, लेकिन इस बार उसने कुछ शर्तों के साथ इसका समर्थन किया है.ये एक ऐसा बिल है जो लंबे समय से संसद से पास होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. ये विधेयक जब अपने शुरुआती दौर में था तब इसे फाड़ दिया गया था. बात है साल 1998 की. तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हाथ से आरजेडी सांसद सुरेंद्र यादव ने ये हरकत की थी. इसे संसद के इतिहास में बदनुमा दाग माना जाता है. जब भी संसद के अशोभनीय दृश्यों की बात होती है तो उनकी इस हरकत की चर्चा जरूर होती है. सुरेंद्र यादव इसके बाद कई बार सांसद बनने की कोशिश किए लेकिन उन्हें हार ही मिली. वह दोबारा कभी लोकसभा नहीं पहुंच पाए.सुरेंद्र यादव को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का करीबी कहा जाता है. वह राजनीति में आज भी सक्रिय हैं और नीतीश सरकार में मंत्री हैं. सुरेंद्र यादव ने कहा था कि बाबा साहेबा भीम राव आंबेडकर उनके सपने में आए थे और उनसे कहा था कि संविधान खतरे में है. और इसी के चलते उन्होंने आडवाणी से बिल को छीनकर फाड़ दिया था. सुरेंद्र यादव की छवि एक दबंग नेता के तौर पर रही है.सवाल अब ये है कि इस बिल के लागू होने से क्या बदलेगा. अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे लागू किया गया, तो इससे संसद में महिला सांसदों का पूरा नंबर बदल जाएगा. इस वक्त लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 78 है।

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अगर महिला आरक्षण बिल पास होता है, तो महिला सांसद की संख्या कम से कम 33 परसेंट होगी, यानी महिला सांसदों की संख्या बढ़कर 179 हो जाएगी.दरअसल महिला वोटर बीजेपी की ताकत रही है. 2014 में बीजेपी को 29 परसेंट महिलाओं ने वोट किया था जो 2019 के चुनाव में बढ़कर 36 परसेंट हो गया. यानी 2014 से 2019 तक आते-आते बीजेपी को वोट देने वालीं महिला वोटर 7 परसेंट बढ़ गईं. ये चुनावी आंकड़ा बता रहा है कि महिलाएं बीजेपी का कोर वोटर बनकर उभरी हैं.स्वतंत्रता से पहले पहली बार सरोजिनी नायडु ने महिला आरक्षण पर विचार रखा था. तब महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही थीं. 1931 में सरोजिनी नायडू ने ब्रिटिश पीएम को पत्र लिखा था. पत्र में महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने की बात कही थी. सरोजिनी नायडु महिलाओं को मनोनीत करने के खिलाफ थीं . उनका मानना था कि महिलाओं का मनोनयन उनका अपमान है. वह चाहती थीं कि महिलाएं लोकतांत्रिक तरीके से चुनी जाएं. इसके बाद ही महिलाओं के आरक्षण की बात होने लगी।

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