अब्राहम समझौते में शामिल हुआ कजाकिस्तान,मुस्लिम बहुल देश हो रहा है एकजुट?

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कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होने जा रहा है, जो इजराइल और अरब और मुस्लिम बहुल देशों के बीच हुआ एक समझौता है. गुरुवार को इस कदम की घोषणा की गई. यह कदम प्रतीकात्मक माना जा रहा है क्योंकि इजराइल और कजाकिस्तान के पहले से ही राजनयिक संबंध है.कजाकिस्तान और इजराइल के बीच 1992 से ही राजनयिक संबंध हैं और कजाकिस्तान भौगोलिक रूप से बाकी अब्राहम समझौते के हिस्से वाले देश बहरीन, मोरक्को, सूडान और यूएई की तुलना में इजराइल से बहुत दूर है.इन देशों ने अब्राहम समझौते में शामिल होने के बाद इजराइल के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने पर सहमति दी, जबकि कजाकिस्तान ने 33 साल पहले ही इजराइल के साथ रिश्ते बेहतर कर लिए थे. कजाकिस्तान की अकॉर्ड में शामिल होने की पुष्टि सबसे पहले तीन अमेरिकी अधिकारियों ने एपी को की, जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर उन योजनाओं का विवरण साझा किया जो अभी सार्वजनिक नहीं हुईं.कुछ घंटे बाद, ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव के बीच बहुत अच्छी बातचीत हुई और कजाकिस्तान मेरे दूसरे कार्यकाल का पहला देश है जो अब्राहम समझौते में शामिल हुआ.

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ट्रंप ने कहा कि कजाकिस्तान का शामिल होना दुनिया भर में सेतु बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है और उन्होंने कहा, ज्यादातर देश मेरे अब्राहम समझौतों के जरिए से शांति और समृद्धि अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं. ट्रंप ने कहा कि जल्द ही एक हस्ताक्षर समारोह होगा.ट्रंप ने यह घोषणा गुरुवार शाम को आयोजित एक शिखर सम्मेलन (summit) के शुरू होने से थोड़ी पहले की, जिसमें कजाकिस्तान सहित 5 मध्य एशियाई देशों के नेता शामिल थे. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि कजाकिस्तान का अब्राहम समझौते में शामिल होना अहम है क्योंकि यह दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को बढ़ाएगा और यह संकेत देगा.उन्होंने बताया कि इजराइल और कजाकिस्तान के सहयोग के विशेष क्षेत्र होंगे: रक्षा, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा और खाद्य प्रौद्योगिकी, हालांकि, ये सभी क्षेत्र पहले से ही 1990 के दशक के मध्य से द्विपक्षीय समझौतों के तहत रहे हैं.क्या है अब्राहम अकॉर्ड्स?इजराइल और अरब और मुस्लिम बहुल देशों के बीच हुआ एक समझौता है. जोकि साल 2020 में हुआ था. इस ने इजराइल और दो खाड़ी अरब देशों, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए. इसके तुरंत बाद मोरक्को के साथ भी इसी तरह का समझौता हुआ.उस समय तक, सिर्फ मिस्र और जॉर्डन ने ही औपचारिक रूप से इजराइल को मान्यता दी थी. ज्यादातर अन्य अरब देशों ने तब तक ऐसा न करने का वादा किया था जब तक कि फिलिस्तीनी राज्य का निर्माण नहीं हो जाता.समझौते के चलते राजनयिक संबंध स्थापित हुए. बल्कि इससे पहले राजनयिक संबंध जब नहीं थे तब इजराइल के नागरिक उन देशों की यात्रा नहीं कर सकते थे और न ही उनके नागरिक इजराइल जा सकते थे. इसके अलावा, किसी भी व्यापार और सुरक्षा सहयोग को गुप्त तरीके से करना पड़ता था. अब्राहम समझौतों से पहले, कई अरब देशों, जिनमें अमीरात शामिल हैं, में इजराइल को सीधे फोन करना भी ब्लॉक था.राष्ट्रपति ट्रंप ने अब्राहम समझौतों को अपने पहले कार्यकाल की सर्वोच्च विदेश नीति उपलब्धि बताया.देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए.नागरिकों को यात्रा की अनुमति मिली.व्यापार और सुरक्षा में सहयोग आसान हुआ.अब्राहम समझौतों से पहले कई अरब देशों में इजराइल को सीधे कॉल करना भी बंद था.

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