ममता बनर्जी पर भारी पड़े हुमायूं कबीर,मुस्लिम वोट बैंक को तोड़ने में होंगे सफल!
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया और बड़ा भूचाल आने की आहट सुनाई दे रही है. तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने ममता बनर्जी के सबसे मजबूत किले यानी ‘मुस्लिम वोट बैंक’ में सेंध लगाने का खुला ऐलान कर दिया है. कबीर ने साफ शब्दों में कहा है कि वे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की तर्ज पर बंगाल में एक नई सियासी ताकत खड़ी करेंगे. इतना ही नहीं, उन्होंने खुद को ‘बंगाल का ओवैसी’ बताते हुए दावा किया है कि ममता बनर्जी का मुस्लिम वोट बैंक अब खत्म होने की कगार पर है।हुमायूं कबीर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने ओवैसी की पार्टी को एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित कर दिया है. बिहार में एआईएमआईएम की सफलता का उदाहरण देते हुए कबीर ने संकेत दिया है कि बंगाल में भी ठीक वैसा ही खेल होने वाला है, जो ममता बनर्जी की नींद उड़ा सकता है.

तृणमूल कांग्रेस से निलंबित चल रहे हुमायूं कबीर ने पत्रकारों से बातचीत में अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए एक बड़ा दावा किया. उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के साथ अपने करीबी रिश्तों का हवाला दिया. कबीर ने कहा, मेरी ओवैसी साहब से बात हुई है… ओवैसी ने मुझे अपनी जुबान दी है कि वो हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूं.हुमायूं कबीर ने बताया कि वे कोलकाता जाएंगे और अपनी पार्टी की कमेटी का गठन करेंगे. इसके बाद, लाखों समर्थकों के साथ 20 दिसंबर को अपनी नई पार्टी को आधिकारिक रूप से लॉन्च करेंगे. उनका यह आत्मविश्वास बताता है कि पर्दे के पीछे एआईएमआईएम और उनके बीच कोई बड़ी खिचड़ी पक रही है, जिसका सीधा मकसद आगामी विधानसभा चुनावों में टीएमसी को नुकसान पहुंचाना है।हुमायूं कबीर ने अपने इरादे जाहिर करते हुए कहा कि वे बंगाल की 294 सीटों में से करीब 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. कबीर ने एक दिन पहले हुंकार भरते हुए कहा था, मैं एक नई पार्टी बनाऊंगा जो सिर्फ मुसलमानों के लिए काम करेगी. मैं 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारूंगा. मैं बंगाल चुनाव में गेम-चेंजर बनूंगा… तृणमूल का मुस्लिम वोट बैंक खत्म हो जाएगा.पश्चिम बंगाल में करीब 27 से 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो पारंपरिक रूप से ममता बनर्जी का सबसे भरोसेमंद वोट बैंक माना जाता है. अगर हुमायूं कबीर और ओवैसी मिलकर इस वोट बैंक में 5 से 10 प्रतिशत की भी सेंधमारी करते हैं, तो इसका सीधा असर टीएमसी की सीटों पर पड़ेगा.हुमायूं कबीर बार-बार बिहार का जिक्र क्यों कर रहे हैं? इसके पीछे एक कहानी है. एआईएमआईएम ने बिहार में 5 सीटें जीतीं और एक पर दूसरे नंबर पर रही. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ओवैसी की पार्टी ने 9 अन्य सीटों पर नतीजों को प्रभावित किया, जहां उसे मिले वोट हार-जीत के अंतर से ज्यादा थे. एआईएमआईएम ने जिन सीटों पर प्रभाव डाला, उनमें से 80% सीटें एनडीए भाजपा गठबंधन ने जीतीं, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 20% सीटें मिलीं.राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर बंगाल में भी यही ‘बिहार मॉडल’ दोहराया गया, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा. मुस्लिम वोट टीएमसी और हुमायूं कबीर-ओवैसी गठबंधन के बीच बंटेंगे, और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. यही कारण है कि हुमायूं कबीर के बयानों ने टीएमसी के रणनीतिकारों के माथे पर पसीना ला दिया है।
