DMK सांसद ए. राजा ने कही बड़ी बात,आखिर मुस्लिमों के विरोध में क्यों है वंदे मातरम्?

 DMK सांसद ए. राजा ने कही बड़ी बात,आखिर मुस्लिमों के विरोध में क्यों है वंदे मातरम्?
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DMK सांसद ए. राजा ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् गीत पर बहस के दौरान ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए दावा किया कि यह गीत सिर्फ अंग्रेजों के ही नहीं, मुसलमानों के भी खिलाफ है. राजा ने दावा किया कि ऐतिहासिक रूप से दर्ज घटनाएं दिखाती हैं कि 20वीं सदी की शुरुआत में वंदे मातरम को इस तरह से पेश किया गया था जिससे मुसलमानों को बाहर रखा जाए.संसद में बोलते हुए ए. राजा ने कहा, “प्रधानमंत्री को तुष्टिकरण शब्द बहुत पसंद है. इसके जिक्र के बिना उनके भाषण पूरे नहीं होते. वंदे मातरम के मामले में किस तरह का तुष्टिकरण किया गया?

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इसे राष्ट्रगीत माना जाता है, लेकिन इसने मूर्तिपूजा और धार्मिक विद्वेष को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस गीत को काट दिया गया और इसी ने विभाजन के बीज बोए.”राजा ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री ने पूछा कि वंदे मातरम का विभाजन किसने किया? विभाजन आपके पूर्वजों ने किया था, मुसलमानों ने नहीं.” राजा के मुताबिक महात्मा गांधी ने 1915 में इस गीत की प्रशंसा की थी, लेकिन 1940 में उन्होंने कहा कि इसे मुसलमानों को ठेस पहुंचाने के इरादे से नहीं गाया जाना चाहिए.उन्होंने बताया कि 1905 और 1908 के बीच, तत्कालीन गृह विभाग ने नोट किया था कि बंगाल में मस्जिदों में नमाज के दौरान, वहां से गुजरने वाली हिंदू जुलूसें वंदे मातरम् का जप करती थीं, जिससे दुश्मनी पैदा होती थी. 1907 में उनके दावे के मुताबिक पर्चे बांटे गए थे कि मुसलमानों को वंदे मातरम् नहीं गाना चाहिए और किसी भी मुसलमान को स्वदेशी आंदोलन में शामिल नहीं होना चाहिए.राजा ने कहा, “हाउस ऑफ़ कॉमन्स में तब इस बात पर बहस हुई थी कि वंदे मातरम सांप्रदायिक संघर्ष क्यों पैदा कर रहा है. गलती गाने में नहीं है. यह सिर्फ़ हिंदुओं के लिए है, इसलिए बंटवारा वहीं से शुरू होता है.” राजा ने इतिहासकार तानिका सरकार का हवाला देते हुए कहा कि आनंद मठ में कहा गया है, जब तक हम उन्हें बाहर नहीं निकालेंगे, हिंदू बर्बाद हो जाएंगे. हम मस्जिदों को कब जमीन पर गिराकर उनकी जगह रामदेव मंदिर बनाएंगे? राजा ने आगे कहा कि आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसका क्या मतलब है.राजा ने कहा कि वंदे मातरम की आलोचना 20वीं सदी की शुरुआत से ही हो रही है. राजा ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा, “इसलिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने के कारण हैं कि वंदे मातरम्, कम से कम इसके कुछ छंद, न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ हैं, बल्कि मुसलमानों के खिलाफ भी हैं. उन्होंने आर.सी. मजूमदार का हवाला देते हुए कहा, “बंकिम चंद्र ने देशभक्ति को धर्म में और धर्म को देशभक्ति में बदल दिया.”

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