क्रिसमस सिर्फ त्योहार नहीं,बल्कि एक संदेश है,जानिए क्यों और कैसे?
जब दिसंबर का महीना आता है, तो ठंडी हवाओं के साथ एक अलग ही खुशी वातावरण में फैल जाती है। सड़कों पर रोशनियां जगमगाने लगती हैं, घरों और चर्चों में सजावट होती है और हर तरफ एक ही शब्द सुनाई देता है – क्रिसमस। लोग एक-दूसरे को “मेरी क्रिसमस” कहकर शुभकामनाएं देते हैं। लेकिन क्रिसमस केवल सजावट, केक और उपहारों का त्योहार नहीं है। इसके पीछे एक गहरा इतिहास और मानवता के लिए महत्वपूर्ण संदेश छिपा हुआ है।क्रिसमस यीशु मसीह के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। ईसाई धर्म के अनुसार यीशु मसीह ईश्वर के पुत्र थे, जिन्हें धरती पर प्रेम, शांति और करुणा का संदेश देने के लिए भेजा गया। उनका जन्म लगभग दो हजार वर्ष पहले बेथलेहम में हुआ। यह जन्म किसी राजमहल में नहीं, बल्कि एक साधारण गौशाला में हुआ। यह घटना हमें यह सिखाती है कि ईश्वर की दृष्टि में सादगी और विनम्रता का बहुत बड़ा महत्व है।

यीशु के जन्म के समय यह मान्यता है कि आकाश में एक विशेष तारा दिखाई दिया, जिसे देखकर तीन ज्ञानी पुरुष दूर-दूर से उन्हें देखने आए। वे यीशु के लिए सोना, लोबान और गंधरस जैसे उपहार लाए। यह संकेत था कि यीशु केवल एक बालक नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक विशेष उद्देश्य लेकर आए हैं। उनका जन्म सभी जाति, वर्ग और देश के लोगों के लिए आशा का प्रतीक बना।अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है कि 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है। वास्तव में बाइबल में यीशु के जन्म की सटीक तारीख का उल्लेख नहीं है। इतिहासकारों के अनुसार रोमन साम्राज्य में 25 दिसंबर को सूर्य और प्रकाश से जुड़ा एक बड़ा पर्व मनाया जाता था। बाद में ईसाई धर्म के प्रचार के दौरान इसी दिन को यीशु मसीह के जन्म दिवस के रूप में स्वीकार कर लिया गया। धीरे-धीरे यह परंपरा पूरी दुनिया में फैल गई।यीशु मसीह का पूरा जीवन प्रेम और सेवा का उदाहरण है। उन्होंने गरीबों, बीमारों, दुखियों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की मदद की। उन्होंने सिखाया कि घृणा का जवाब घृणा से नहीं, बल्कि प्रेम से देना चाहिए। उन्होंने क्षमा, दया और करुणा को जीवन का आधार बताया। यही कारण है कि क्रिसमस केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता का उत्सव है।आज के समय में क्रिसमस अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं, भजन गाए जाते हैं और लोग ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता है, जो जीवन, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। ट्री पर लगाई जाने वाली रोशनियां अंधकार में प्रकाश का संदेश देती हैं।क्रिसमस पर सांता क्लॉज का भी विशेष महत्व है। सांता क्लॉज का चरित्र दयालुता और दान का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि दूसरों को खुशी देना सबसे बड़ी खुशी होती है, खासकर बच्चों और जरूरतमंदों को।क्रिसमस का एक महत्वपूर्ण संदेश है दान और सेवा। इस दिन लोग गरीबों को खाना खिलाते हैं, जरूरतमंदों को कपड़े देते हैं और अकेले लोगों के साथ समय बिताते हैं। यह यीशु मसीह की शिक्षाओं का ही विस्तार है, जिन्होंने कहा था कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है।भारत में भी क्रिसमस बड़े प्रेम और भाईचारे के साथ मनाया जाता है। गोवा, केरल, पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर देश के हर कोने में लोग इस पर्व को खुशी के साथ मनाते हैं। यहां क्रिसमस केवल ईसाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोग मिलकर इसे मनाते हैं, जो हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।आज जब दुनिया में तनाव, हिंसा और नफरत बढ़ रही है, तब क्रिसमस हमें यह याद दिलाता है कि शांति, प्रेम और मानवता ही सच्चा रास्ता है। यीशु मसीह का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था।अंत में कहा जा सकता है कि क्रिसमस इसलिए मनाया जाता है ताकि हम यीशु मसीह के जन्म के साथ-साथ उनके विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं। जब हम प्रेम, करुणा और सेवा को अपना लेते हैं, तभी क्रिसमस का असली अर्थ पूरा होता है। यही क्रिसमस का सच्चा संदेश है।
