राज्यसभा सीट पर चिराग की बढ़ी दावेदारी,उपेन्द्र कुशवाहा नहीं जा पाएंगे राज्यसभा?
बिहार कोटे से राज्यसभा की पांच सीटों पर सबकी नज़रें हैं। यह पांच सीटें अगले साल यानी 2026 के अप्रैल माह की नौ तारीख को खाली हो रही है। लेकिन, इसकी चर्चा अभी से ही होने लगी है। पांच सीटों में से दो सीट राष्ट्रीय जनता दल के पास है। राजद नेता प्रेम चंद गुप्ता और एडी सिंह का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके अलावा दो सीट पर जदयू के वरिष्ठ नेता और उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर भेजे गए थे। इनका भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। बाकी बची एक सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा भेजे गए थे। इनका कार्यकाल भी 2026 में पूरा हो रहा है। इन पांचों सीटों में से भाजपा के पास फिलहाल एक भी सीट नहीं है। लेकिन, विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने जो गुना गणित बदला है उससे दो सीट भाजपा को मिल जाएगी।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट आशुतोष कुमार बताते हैं कि जदयू का शीर्ष नेतृत्व हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर को दोबारा राज्यसभा भेज सकता है। इसके पीछे कारण है कि दोनों नेताओं को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व भी पसंद करते हैं। वही जो दो सीट भाजपा के पास आने वाली है उसमें से एक सीट पर भाजपा नितिन नवीन को राज्यसभा भेजेगी। क्योंकि, नितिन नवीन अब केंद्र की राजनीति में जा चुके हैं। ऐसे में अप्रैल माह में ही भाजपा उन्हें बांकीपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दिलाकर राज्यसभा भेज सकती है। भाजपा नितिन नितिन के लिए सियासी पिच पूरी तरह तैयार करना चाहती है। इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है। 23 अप्रैल को पटना में उनके स्वागत में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। राज्यसभा में सदस्यों का चुनाव राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें विधान परिषद् के सदस्य वोट नहीं डाल सकते। नामांकन फाइल करने के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है। सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा निर्धारित कानून से होता है। इसके अनुसार राज्य की कुल विधानसभा सीटों को राज्यसभा की सदस्य संख्या में एक जोड़ कर उसे विभाजित किया जाता है फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है। राज्यसभा जाने के लिए एक सीट पर 41 विधायकों के वोट की जरूरत होती है। इस तरह पांच सीटों पर 205 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास कुल 202 सीटें हैं। यानी चार सीटों उन्हें आसानी से मिल जाएंगी। लेकिन, पांचवीं सीट के लिए एनडीए को भी थोड़ी मशक्कत जरूर करनी पड़ेगी।एनडीए में सीट बंटवारे के वक्त लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अधिक सीटें चाह रहे थे। लेकिन, उस समय उन्हें मनचाहा सीट नहीं मिला। बताया गया कि दोनों नेताओं की पार्टी को राज्यसभा की एक एक सीट देने का वादा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने किया है। चुनाव के बाद दोनों पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा। चिराग के 19 और कुशवाहा के चार प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे। अब अब चिराग और उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के लिए एक-एक सीट राज्यसभा में चाह रहे हैं। कयास यह लगाया जा रहा है कि भाजपा अपने कोटे की एक सीट चिराग पासवान को दे सकती है। ऐसे में पांचवी सीट के लिए अगर उपेंद्र कुशवाहा को मिलेगी भी तो उन्हें वोट लाने के लिए थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट आशुतोष कुमार कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे को मंत्री बनाया उससे प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने अपने बेटे की राजनीति में एंट्री करवा कर खुद की कुर्बानी दे दी। वही संख्या बल के हिसाब से चिराग पासवान की दावेदारी अधिक है क्योंकि उनके पास उपेंद्र कुशवाहा से 15 अधिक विधायक है। चिराग पासवान शीर्ष नेतृत्व के करीब भी हैं। चर्चा यह भी है कि वह अपनी मां रीना पासवान को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। अगर भाजपा दोनों सेट अपने ही पास रखती है तो ऐसी स्थिति में पांचवी सीट पर पेज फंस सकता है। हालांकि, जिस तरह से उपेंद्र कुशवाहा सक्रिय हैं उससे यह स्पष्ट है कि वह दोबारा राज्यसभा जाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
