मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत जल्द हीं राजनीति में करेंगे एंट्री,जदयू के नेताओं द्वारा की जा रही है मांग
देश में अभी भी कुछ ऐसे नेता हैं जिनके परिवार से कोई भी राजनीति में सक्रिय नहीं है. इन नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं जिनके इकलौते बेटे का राजनीति से कोई नाता नहीं है. वह सार्वजनिक तौर पर ज्यादा दिखाई भी नहीं देते हैं. हालांकि अब ऐसी अटकलें हैं कि राजनीति में वंशवाद के खिलाफ खुलकर बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इकलौते बेटे जल्द ही राजनीति में एंट्री कर सकते हैं.सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार सार्वजनिक तौर पर ज्यादा नजर नहीं आते. निशांत को अपने पिता के साथ सार्वजनिक तौर पर बेहद कम अवसरों पर साथ देखा गया है. हालांकि अब पिछले कुछ दिनों से इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और कार्यकर्ता नीतीश कुमार पर दबाव बना रहे हैं कि निशांत को पार्टी में शामिल कराया जाए. कहा यह भी जा रहा है कि नीतीश इस मामले में अपनी सहमति भी जता सकते हैं.निशांत को जेडीयू में शामिल कराए जाने की पार्टी के अंदर बढ़ती मांग के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है कि जनता दल यूनाइटेड के पास दूसरी पंक्ति का नेतृत्व नहीं है जो पार्टी प्रमुख नीतीश के इस्तीफे के बाद उनकी जगह भर सके. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि 29 जून को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है और हो सकता है कि इस बैठक के दौरान निशांत को लेकर अहम फैसला हो सकता है।इस तरह की अटकलें सोमवार को और तेज हो गईं, जब जेडीयू नेता और राज्य खाद्य आयोग के प्रमुख विद्यानंद विकल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बिहार को नए राजनीतिक परिदृश्य में युवा नेतृत्व की दरकार है. निशांत कुमार में सभी अपेक्षित गुण हैं. मैं जनता दल यूनाइटेड के कई साथियों की उस राय से पूरी तरह से सहमत हूं कि वे (निशांत) पहल करें और राजनीति में सक्रिय हो जाएं.” वहीं जेडीयू के प्रदेश महासचिव रणधीर सिंह भी इस तरह की मांग कर चुके हैं।दूसरी ओर, जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में असरदार मंत्रियों में से एक विजय कुमार चौधरी ने इस मुद्दे पर जुड़े सवाल पर कहा कि ऐसी अटकलें पूरी तरह ‘निराधार’ हैं. उन्होंने कहा, “मैं पार्टी से जुड़े लोगों से यह अनुरोध करता हूं कि वे इस संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा न करें, इसका कोई आधार नहीं है. इस तरह की बातें करने से लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकता है.मुख्यमंत्री नीतीश के साथ बैठकों के दौरान क्या कभी इस मसले पर चर्चा हुई है, तो चौधरी ने कहा, “मैंने जो कहा, वही इस सवाल का उत्तर है.”दूसरी ओर, लोकसभा चुनावों में बीजेपी की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी बनकर उभरी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) इस महीने के अंत (29 जून) में दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारी में जुटी है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकें नियमित अंतराल पर होती रहनी चाहिए।”