जीतन राम मांझी को लगा बड़ा झटका,HAM के कई नेता नीतीश की JDU में हुए शामिल
बिहार के पूर्व सीएम एवं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा सुप्रीमो जीतनराम मांझी महागठबंधन छोड़ने के बाद नई राजनीतिक संभावनाएं तलाशने दिल्ली दौरे पर गए हैं। दूसरी तरफ, उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी का दामन थाम लिया है। पटना स्थित जेडीयू दफ्तर में आयोजित मिलन समारोह में मांझी की हम के कई वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को सीएम नीतीश की पार्टी ज्वाइन की। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने सभी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।जीतनराम मांझी की हम पार्टी के ध्रुव लाल मांझी, शफिर उल हक, रामेश्वर बैठा, विनय बैठा, सन्तोष बैठा, अशोक सिन्हा सहित बड़ी संख्या में नेताओं ने जेडीयू का दामन थाम लिया है। मिलन समारोह में मंत्री विजय चौधरी, लेशी सिंह, जमा खान और रत्नेश सदा भी मौजूद रहे। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि मांझी के लिए परिवार हित सर्वोपरि है। समाज के लोगों को दिग्भ्रमित कर अब तक उन्होंने सिर्फ अपने परिवार का भला किया है। वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर एक तरफ पटना में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत 17 विपक्षी दलों के नेता 23 जून को जुट रहे हैं तो दूसरी तरफ बीसपी सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में पार्टी के टॉप लीडर्स की मीटिंग बुलाई है। मायावती इस मीटिंग में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा करेंगी और फैसला लेंगी। नजर इस बात पर रहेगी कि वो कांग्रेस या सपा या दोनों के साथ गठबंधन के विकल्प पर बातचीत के लिए तैयार होती हैं या फिर ओवैसी समेत दूसरे छोटे दलों को लेकर तीसरे मोर्चा बनाती हैं। अखिलेश यादव ने मायावती की तरफ गठबंधन के लिए फिर से हाथ बढ़ाते हुए कहा था कि बीजेपी को हराने के लिए बड़ा दिल दिखाकर गठबंधन करना चाहिए। वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने विपक्षी एकता मीटिंग पर हमला बोलते हुए कहा है कि क्या जनता ऐसा सरकार बनाएगी जिसमें हर तीन महीने मैं पीएम ही बदल जाए। क्या ऐसी सरकार बनेगी जिसमें तीन महीना नीतीश कुमार, तीन महीना अखिलेश यादव, तीन महीना ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने कहा कि जनता नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएगी। वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की एकता मीटिंग आ रहे कई मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री समेत वीवीआईपी नेताओं के ठहरने की व्यवस्था में कोई कमी ना हो इसके लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के 20 सीनियर अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। राज्य सरकार ने ज्वाइंट सेक्रेटरी और डिप्टी सेक्रेटरी रैंक के 20 अफसरों को 21 जून से 24 जून तक पटना डीएम के अधीन प्रतिनियुक्त कर दिया है। बुधवार को पटना डीएम ने इन अधिकारियों की ब्रीफिंग मीटिंग बुलाई है जिसमें उन्हें अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार किया जाएगा। वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों में पटखनी देने के लिए 23 जून को पटना में हो रहा महाजुटान रोचक हो सकता है. दरअसल इस महाजुटान से पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. वहीं अब तक चुप्पी साध कर बैठी कांग्रेस महाजुटान के मंच पर ही इन दोनों नेताओं पर पलटवार की रणनीति बना रही है. हालांकि इधर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कांग्रेस अध्यादेश पर उन्हें समर्थन करते हुए राज्य सभा में बिल का विरोध करे।इसके लिए उनकी मंशा है कि 23 जून की बैठक में ही कांग्रेस को अपना स्टैंड साफ करना होगा. इसी प्रकार वह यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस दिल्ली और पंजाब छोड़े तो वह कांग्रेस के लिए राजस्थान मध्य प्रदेश छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. ठीक इस प्रकार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भी अपनी शर्तों पर कांग्रेस को आंख दिखा रही हैं. हालांकि कांग्रेस अब तक चुप बैठी है. लेकिन यह चुप्पी केवल बाहरी तौर पर है.