बांग्लादेशियों को नहीं मिलेगा खाने को खाना और रहने को घर,त्रिपुरा में लोगों ने उठाया बड़ा कदम

 बांग्लादेशियों को नहीं मिलेगा खाने को खाना और रहने को घर,त्रिपुरा में लोगों ने उठाया बड़ा कदम
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ऑल त्रिपुरा होटल एंड रेस्टोरेंट ओनर्स एसोसिएशन (एथरोआ) ने कहा कि, उनके सदस्य भारतीय ध्वज के अपमान के कारण बांग्लादेशी मेहमानों को सेवा नहीं देंगे. एथरोआ के महासचिव सैकत बंद्योपाध्याय ने कहा कि सोमवार को हुई एक आपातकालीन बैठक में यह निर्णय हुआ।उन्होंने कहा, “हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है और बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के एक वर्ग द्वारा अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं, लेकिन अब यह सीमा पार कर गई है.” इस बीच, असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

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बता दें कि, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग ने मंगलवार को सुरक्षा कारणों से तत्काल प्रभाव से अगली सूचना तक सभी वीजा और कांसुलर सेवाओं को निलंबित करने की घोषणा की. यह कदम ढाका में हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के एक समूह द्वारा मिशन परिसर में घुसने के एक दिन बाद उठाया गया।दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ढाका ने त्रिपुरा में अपने मिशन में कथित तोड़फोड़ के खिलाफ विरोध जताने के लिए वहां तैनात भारतीय दूत को तलब किया. मंगलवार को ही पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया और बांग्लादेश मिशन में हुई घटना में कथित संलिप्तता के लिए सात लोगों को गिरफ्तार किया. पश्चिम त्रिपुरा जिले के एसपी किरण कुमार के ने कहा कि ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई।बांग्लादेश मिशन के प्रथम सचिव मोहम्मद अल-अमीन ने कहा, “सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, अगरतला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग में सभी वीजा और कांसुलर सेवाएं अगले आदेश तक निलंबित रहेंगी. यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा. घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा, विरोध रैली के दौरान, युवाओं के एक समूह ने अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग कार्यालय में घुसने की कोशिश की. उन्होंने इस घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि, बांग्लादेश के मामले में शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।

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